बदलता है रंग आसमाँ भी कैसे-कैसे..
डॉ. स्वयंभू शलभ रक्सौल (बिहार) ****************************************************** बड़े अज़ीब दिन हैं ये और बड़े अजीब हैं ये अहसास…,हर दिन मानो एक नया इम्तहान लेकर सामने आता है और दिलो-दिमाग पर उदासी की एक नई लकीर खींचकर चला जाता है…l इस जद्दोजहद से बाहर निकलने की कोशिश भी कामयाब नहीं होती…,भीतर का अंधेरा बाहर के अंधेरे के … Read more