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शांति निकेतन

 

डॉ. स्वयंभू शलभ
रक्सौल (बिहार)

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भाग-७……

बोलपुर में शांति निकेतन,विश्वभारती और सृजनी शिल्पग्राम के भ्रमण के बाद हमारा अगला लक्ष्य कंकालितला मंदिर के दर्शन का था…l माँ काली को समर्पित यह प्रसिद्ध मंदिर बोलपुर से करीब १० किमी की दूरी पर स्थित है…l पश्चिम बंगाल लोक कला और संस्कृति के साथ धार्मिक आस्था का भी प्रमुख केन्द्र रहा है…l देवी के ५१ शक्ति पीठों में कई शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल में ही स्थित हैं…l नलहाटी में देवी नलतेश्वरी,सैंथिया में देवी नन्दिकेश्वरी,लाभपुर में देवी फुल्लारा और कंकालितला में देवी कंकाली…ये शक्तिपीठ बीरभूम जिले में तारापीठ के आसपास ही अवस्थित हैं…l हिन्दू मान्यता के अनुसार जहां-जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे,वहां वहां शक्तिपीठ बने और वो स्थल हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए पावन तीर्थ कहलाये…l ये पावन तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं…l कंकालितला मंदिर भी उनमें से एक है,इस स्‍थान पर देवी सती का कंकाल यानी कमर का हिस्‍सा गिरा था…l कोपाई नदी के तट पर देवी के मंदिर को गर्भगृह के रूप में जाना जाता है…l कहा जाता है कि देवी एक प्राकृतिक तालाब के तल में स्थित है,यह तालाब मंदिर परिसर में ही स्थित हैl तालाब के चारों तरफ सीढ़ियां बनी हुई हैं…l कई श्रद्धालु भक्त तालाब के किनारे भी पूजा-अर्चना करते हैं…l मंदिर के समीप पूजा सामग्री की कई दुकानें सजी हैं…बगल में एक मैदान है,जिसमें दशहरा के दौरान मेला लगता है…l देशभर से श्रद्धालु अपनी मनोकामना के साथ इस शक्तिपीठ में दर्शन के लिए जुटते हैं…l वर्ष २०१९ इस मायने में विशेष महत्व का रहा कि,इस वर्ष २ शक्तिपीठों के दर्शन का सौभाग्य मिला,अप्रैल में मैसूर स्थित माँ चामुंडेश्वरी देवी का दर्शन और अक्टूबर में कंकालितला स्थित माँ कंकाली का..। माँ सब पर अपनी कृपा बनाये रखें…l

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