कल्पवृक्ष का हर कोई अभिन्न अंग
मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’ गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश) *************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… बाबा की बेवक्त गूंजती खांसी,अम्मा का तड़के तड़के सामान टटोलना।बाबू जी की ठहाकों वाली हँसी,माँ का दिनभर रसोई में डब्बे खंगालना। ए-जी ओ-जी करता बीबी का रेडियो,चाचा जी की रोज एक चप्पल को ढूंढना।रिश्तों के नए-नए नाटकों से भरा वीडियो,धुली बनियान पहचानने को उसे नित सूंघना। कॉपी-किताबों … Read more