कुल पृष्ठ दर्शन : 280

You are currently viewing कल्पवृक्ष का हर कोई अभिन्न अंग

कल्पवृक्ष का हर कोई अभिन्न अंग

मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’ 
गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश)

***************************************

घर-परिवार स्पर्धा विशेष……

बाबा की बेवक्त गूंजती खांसी,
अम्मा का तड़के तड़के सामान टटोलना।
बाबू जी की ठहाकों वाली हँसी,
माँ का दिनभर रसोई में डब्बे खंगालना।

ए-जी ओ-जी करता बीबी का रेडियो,
चाचा जी की रोज एक चप्पल को ढूंढना।
रिश्तों के नए-नए नाटकों से भरा वीडियो,
धुली बनियान पहचानने को उसे नित सूंघना।

कॉपी-किताबों से ज़्यादा बालों को सहलाए,
बहन के नखरों से सबकी नाक में दम हो जाए।
हर कमरे में कोहराम मचाए,सब बिखराए,
ये बच्चों की टोली भी क्या बड़ों से कम होती है।

आँख खुल जाती हैं चिंता में अगर बाबा खांसे नहीं,
‘अम्मा ठीक हो’ सवाल पूछता है हर कोई।
सबके लतीफे निकलते हैं अगर बाबूजी बोले नहीं,
देर हो कितनी भी,भूखा नहीं जाता घर से कोई।

बीबी के सवालों की भी आदत हो गई है अब,
और चाचा जी की चप्पल मिल ही जाती है कहीं।
इस जीते-जागते नाटक के पात्र हैं हम सब,
‘महाभारत’ से ‘रामायण’ तक सब देखा है यहीं।

चोटी खींचता हूँ छोटी की जब वो नखरे नहीं दिखाती,
‘अब फरमाइश बंद है तेरी,क्या कुछ हुआ है’ पूछता हूँ।
‘नहीं भैया सब ठीक है’ कहती है,पर बातें नहीं बताती,
कब मेरी छोटी इतनी बड़ी हो गई,यही सोचता हूँ

पर सबसे अनोखा है ये बच्चों का रिश्ता,
इनके शोर से घर-आँगन रौनक रहता है।
थोड़ा भी चुपचाप हो तो घर नहीं जंचता,
अजीब-सी खामोशी,सब सूना-सूना लगता है।

पैरों की मालिश करने से सिर में तेल लगाने को,
कोई न कोई तैयार रहता है किसी नए कारनामे को।
पूछते नहीं कि कौन कितना कमाता है घर चलाने को,
पर कमी नहीं हुई आज तक सबके भर पेट खाने को।

खुशियां बांटनी हो या दुख-दर्द किसी का बढ़ता हो,
सब साथ में मिलकर सहते हैं,ग़म भी थोड़ा कम हो जाता है।
सब एक-दूजे का ढांढस हैं,सूर्य सदैव यहां चढ़ता है,
इस मीठी नोंक-झोंक में भी,हमें हँस कर रहना आता है।

अटपटा-सा,खट्टा-मीठा कुछ-कुछ अतरंगी है,
पर एक डोर से बंधा है अपना घर-परिवार।
इस कल्पवृक्ष का हर कोई अभिन्न अंग है,
बांध कर रखे है हमें प्यार,आदर और सत्कार॥

परिचय-मयंक वर्मा का वर्तमान निवास नई दिल्ली स्थित वायुसेना बाद (तुगलकाबाद)एवं स्थाई पता मुरादनगर,(ज़िला-गाजियाबाद,उत्तर प्रदेश)है। उपनाम ‘निमिशाम्’ है। १० दिसम्बर १९७९ को मेरठ में आपका जन्म हुआ है। हिंदी व अंग्रेज़ी भाषा जानने वाले श्री वर्मा ने बी. टेक. की शिक्षा प्राप्त की है। नई दिल्ली प्रदेश के मयंक वर्मा का कार्यक्षेत्र-नौकरी(सरकारी) है। इनकी लेखन विधा-कविता है। लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों की अभिव्यक्ति है। पसंदीदा हिंदी लेखक व प्रेरणापुंज डॉ. पूजा अलापुरिया(महाराष्ट्र)हैं।

Leave a Reply