ऐसे ही सारा संसार सजाना है

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** हम एकसाथ बैठे जिस पर,वह नौका पार लगाना है,हो भारत एक श्रेष्ठ भारत,सपना साकार बनाना है। ऐसे ही भारत देशों से,सारा संसार सजाना है…॥ तन स्वस्थ रहेगा,स्वयं,हमें मन का उपचार कराना है…॥ करना कर्तव्य हमें भी यों,जन-मन में प्यार जगाना है…॥ जो हाथ थाम ले जनता का,ऐसी सरकार चलाना है…॥ जिस भव में … Read more

रह जाए पूरी वसुधा पर कहीं न किंचित तम

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष….. ऐसे दीप जलाएं आओ,जल जाएं कर्दम,रह जाए पूरी वसुधा पर,कहीं न किंचित तम।जल जाए कालाबाजारी,जल जाए धन कालाजिसने कर डाला मानव का,कचरे-सा मन काला।चमक चमाचम-दमक दमादम,हर ले सारे गम…॥ जल जाए तस्करी स्वयं ही, जले मुनाफाखोरी रह न जाए वह लालच जिसने, यहां सिखाई चोरी। ऐसी बिजली गिरी कि … Read more

ऐसी शरद पूर्णिमा को नमन

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष….. अति शुभ सरस सुहावना सुखद अति,आज हुआ जग में शरद त्रृतु आगमन,सोलह कलाओं युक्त चन्द्रमा प्रकट हुयेधरती पे हुआ महालक्ष्मी का अवतरण। हरे उत्पीड़न है,बहे जो समीरण है,प्रेम का प्रतीक पर्व बांटे नव जीवन है,राधे श्याम नाचें व नचावें जगती को आज,अमृत प्रसाद पा के झूमे त्रिभुवन है। परिचय-विजयलक्ष्मी … Read more

भटकी है जिन्दगी

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** रोज नयी पीड़ाएँ,रोज नयी त्रासदी,चिन्ता के जंगल में भटकी है जिन्दगी। सिकुड़न के घाव बने,भूखों के पेट परजीने के अर्थ मिटे,किस्मत की स्लेट पर।चेहरों से लोप हुई,आशा की ताजगी…॥ जजवाती अंधड में,अब किसकी खैर हैभाई का भाई से,आखिर तक बैर है।बजती है शाम सुबह,द्वन्दों की दुंदुभी…॥ पहचानी जाय नहीं,शक्ल गुनहगार कीसच हो या … Read more

रामलीला मंच से नएपन से जोड़ना होगा नयी पीढ़ी को

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** आज विद्युत संचार साधनों का युग है। घर बैठे विश्व दर्शन,दूर देशों से बातचीत और मनोरंजन के साधनों की श्रीवृद्धि ने मंचीय रामलीला, नौटंकी और नाटकों के महत्व को कम कर दिया है। आज की तीव्र गति से भागती हुई जीवन-शैली में रोजी रोटी के संघर्ष परस्पर दूर होते रिश्ते,मनुष्य- मनुष्य में विकसित … Read more

भारत वन्दना

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** जय जय जननी भारत धरणी,मेरा वन्दन स्वीकार करोभव सर तरणी सब दु:ख हरणी,जग जीवन का उद्धार करो। अम्बे तुम भाग्य विधात्री हो,जन-भाषा का उद्धार करो। माँ हाथ उठा मुस्कान दिखा,अपने शिशुओं को प्यार करो। हे माँ वर देने हेतु हमें,निज देवी रूप साकार करोll परिचय-विजयलक्ष्मी खरे की जन्म तारीख २५ अगस्त १९४६ है।आपका … Read more

विश्व शांति की स्थापना में चरित्र निर्माण की महती भूमिका

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************************* विश्व शांति दिवस स्पर्धा विशेष……        कोलकाता की पावन भूमि पर जन्मे बांग्ला भाषा के विश्वविख्यात कवि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने एक ऐसे विश्व की कल्पना की थी,जहाँ मनुष्य का मस्तिष्क भयमुक्त हो और सर सदैव ऊँचा रहे। उनकी सुप्रसिद्ध पुस्तक `गीतांजलि` की यह प्रथम रचना है, वे लिखते हैं-`व्हेयर द माइंड इज … Read more

हो राम राज्य जग में

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************************* हे राम तुम्हारा प्रिय मंदिर,हो अखिल विश्व के जन-मन मेंमानस में चरित तुम्हारा हो,तुम बसे रहो जन-जीवन में। हों अश्रु किसी की आँखों में,तो बहे दूसरों के दु:ख में।दो हँसी अगर तुम ओंठों को,हम हँसें दूसरों के सुख में। हम देख सकें जग के सुख-दु:ख,अपने छोटे से दर्पण में॥ सबके मानस में मिलें … Read more

लेता वक्त फेरा है

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************************* क्यों ये मायूसियों का डेरा है,आने वाला नया सबेरा है। जो बुरा हो चुका वो जाने दो,वक्त पे लेता वक्त फेरा है। ये तो इस जिंदगी का आलम है,फिर उजाला है फिर अंधेरा है। सच सिखाया है साधु-संतों ने,कुछ न मेरा यहां न तेरा है। साँस लेते हैं हम इसी दम पर ,दिल … Read more

कैद जिंदगी

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************************* हाय तपस बढ़ती जाती है,भाग रहा मन हमें छोड़कर बंद कक्ष में कैद जिंदगी, जाये,बंधन कहां तोड़कर।`कोरोना` यमदूत चतुर्दिक, खड़ा भुजाएं निज फैलायेएक-एक को निगल रहा है, मानव विकल कहां छिप जायेl जर्जर तन के भीतर कैसे, रक्खे साँसें जवां जोड़कर। यह विशाल दुनिया है कैसी, है विषाणुओं से भी छोटी इसमें हर … Read more