दस्तक दे रहा नया वर्ष
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* देखो तो द्वार पर खड़ा, दस्तक दे रहा नया वर्ष आओ इस अतिथि के लिये, मन के पट खोल लें सहर्ष। सर पर वो रक्खे है,प्यार भरी गगरी, काँधों पर लादे,उपकारों की गठरी पीठ पर गरीबों के,जख्मों की मरहम, आया है गांव से,लुटेरों की नगरीl आया है दो हजार बीस, दुष्टों … Read more