दस्तक दे रहा नया वर्ष

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* देखो तो द्वार पर खड़ा, दस्तक दे रहा नया वर्ष आओ इस अतिथि के लिये, मन के पट खोल लें सहर्ष। सर पर वो रक्खे है,प्यार भरी गगरी, काँधों पर लादे,उपकारों की गठरी पीठ पर गरीबों के,जख्मों की मरहम, आया है गांव से,लुटेरों की नगरीl आया है दो हजार बीस, दुष्टों … Read more

हम ही गुनहगार हैं

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* हैदराबाद घटना-विशेष रचना………… हाँ,जन्म से पहले, तुम्हारा परिचय था तो सिर्फ नारी की कोख से था जिसमें तुम पल रहे थे, भ्रूण बन कर। जन्म के बाद भी, तुमने देखा तो सिर्फ- नारी को देखा जो पाल रही थी तुम्हें, माँ बन कर। हाँ,जब तुम बालक बने, तो भी आ गई … Read more

आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* ‘आत्मजा’ खंडकाव्य से भाग-१२…….. दिन होते ही सेतु बनाती, जीवन में आगे जाने के रात सुखद सपनों में खोती, अंशुमान को अपनाने के। अलग-अलग थे दोनों ही पथ, दिन के और रात के अपने दिन में थे कुछ कार्य प्रायोगिक, और रात में ऊँचे सपने। कैसे जोड़े इन दोनों को, बहुत … Read more

आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* ‘आत्मजा’ खंडकाव्य अध्याय-१२ दिन होते ही सेतु बनाती, जीवन में आगे जाने के रात सुखद सपनों में खोती, अंशुमान को अपनाने के। अलग-अलग थे दोनों ही पथ, दिन के और रात के अपने दिन में थे कुछ कार्य प्रयोगिक, और रात में ऊँचे सपने। कैसे जोड़ें इन दोनों को, बहुत सोचती … Read more