आत्मजा
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* 'आत्मजा' खंडकाव्य से भाग-१२........ दिन होते ही सेतु बनाती, जीवन में आगे जाने के रात सुखद सपनों में खोती, अंशुमान को अपनाने के। अलग-अलग थे दोनों…
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October 15, 2019