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मन्दिर-मस्जिद बंद पड़े

बोधन राम निषाद राज ‘विनायक’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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मन्दिर-मस्जिद बंद पड़े हैं,
मदिरालय गरमाया है।
रिश्ते-नाते टूट रहे हैं,
कैसा दिन अब आया है॥

आज अकेला हर मानव है,
जाने क्या होने वाला।
गम की चिंता दूर हटाने,
खुली हुई है मधुशाला॥
लीला है ये महाप्रलय की,
अद्भुत हरि की माया है।
मन्दिर-मस्जिद बंद पड़े हैं,…

भटक रहे हैं लोग जहां में,
खाने को क्या मिलता है।
घर बैठे ही बोतल मधु की,
दुखी चेहरा खिलता है॥
इक प्याला मुँह में जाते ही,
खुद का दर्द भुलाया है।
मन्दिर-मस्जिद बंद पड़े हैं,…

अपने में ही मस्त हुए सब,
कौन यहाँ सुनने वाला।
एक सहारा शौकीनों का,
पीते हैं मधु का हाला॥
घर-घर में अब डर का साया,
ध्यान नहीं क्यों आया है।
मन्दिर-मस्जिद बंद पड़े हैं,…॥