भरी दोपहरी धूप में,
पानी की कुछ बूंदें
आ उसके,
हाथों में गिर पड़ी।
आसमां को ताकती,
दौड़ती-भागती मेरे पास आयी।
कहती है…माँ,माँ…!
अब बारिश होनें वाली है,
पापा तो `रेनकोट` नहीं लाए हैं,
पापा बारिश में भीग जाएंगे ना ?
उसकी चिंता,
पिता के प्रति स्नेह
हाँ,वो अब जिम्मेदारियों से,
बड़ी होती जा रही है।
जुगनू-सी चमकती उसकी आँखें,
निराशा को मिटाती उसकी बातें
कहती है…माँ!
सबका तो घर है,
मेरा घर कहां है ?
तेरा पेट ही मेरा घर है न माँ ?
मस्त घर है माँ।
एक अकेली धमा-चौकड़ी,
खेलती-कूदती
मुझे भी अपने बाल्यकाल में ले जाती।
मैं बेटी,
वो माँ बन जाती।
मेहनत से कभी मेरी क़मर झुक जाती,
वो आकर कहती है…माँ,माँ!
कितना काम करती है,
दर्द हो रहा है ना ?
तू बूढ़ी हो जाएगी ना,
तो मैं डॉक्टर बन जाऊंगी
तेरा इलाज़ करुंगी,
तेरा साथ कभी न छोड़ूँगी।
खुशी से मेरे नयनों में,
आँसू आ जाते।
कहती है…माँ!
क्यों रो रही है ?
जय मामा की याद रही है,
राजेश मामा की याद रही है ?
मोबाइल है ना,फ़ोटो देख ले।
कठघरे में खड़े,
मेरे पक्षपातियों को जबाव देती।
खून से नहीं बनते हैं रिश्ते,
विश्वास से बन जाते हैं।
पराए खून भी अपनों से,
बढ़कर हो जाते हैं।
सोच उसकी,चिन्तन मेरा,
झुण्ड में मरी चींटियों
के दर्द को भी समझती,
कहती है….माँ!
ये चींटियां क्यों मर गयीं ?
अनगिनत सवाल उसके,
मैं निरुत्तर हो जाती।
फिर भी लोग कहते हैं-
वो बात नहीं कर पाती…
वो बात नहीं कर पाती।
आराधना,
ऐसी है मेरी बेटी…ll
परिचय-१३ सितम्बर १९९० को जन्मीं सुमिधा सिदार का जन्म स्थान-ग्राम कुण्डापाली(छग) है। आप वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में महासमुंद जिले के ग्राम-सरकण्डा में रहती हैं। श्रीमती सिदार का साहित्यिक उपनाम-हेम(पति का नाम और वही आदर्श)है। शिक्षा-बी.ए. और कार्यक्षेत्र-सरकण्डा ही है।आप सामाजिक क्षेत्र में लोगों को बेटी की महत्ता बताने के साथ ही तनाव से राहत के लिए हँसाने की कोशिश करती हैं। लेखन में कविता, कहानी, एकांकी, हाइकु, तांका, मुक्तक एवं शायरी रचती हैं। आपकी नजर में-मेरी लिखी रचना कोई दूसरा पढ़ता है,वही सम्मान है। आपके लेखन का उद्देश्य-समाज की औरतों के प्रति है,क्योंकि गोंडवाना समाज को निखारना है,ताकि महिला वर्ग घर,गली, गाँव से बाहर निकलकर समाज के बारे में सोंचने को तैयार करना,औरतों को जागृत करना व हिन्दी भाषा लेखन को बढ़ावा देना है। कार्यक्षेत्र में आप गृहिणी हैं और ब्लॉग पर भी लिखती हैंl कुछ वेब मंचों पर आपकी रचना का प्रकाशन हुआ है।
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