दृष्टि भानुशाली
नवी मुंबई(महाराष्ट्र)
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इस हयात को हसीन बनाने के लिए,
ईश्वर ने बनाए हैं कुछ ऐसे रिश्ते
उनका होना,किसी इनायत से कम नहीं,
जो बन जाते हैं जिंदगी के अहम हिस्से…l
शुरुआत करते हैं एक ऐसे फरिश्ते से,
जिसे दर्जा दिया है स्वयं ईश्वर
का
जिस बेखुदी से उल्फ़त है उसे हमसे,
उससे ज्यादा इज्ज़त अपनी माँ की करनाl
यदि माँ बहता नीर है तो,
पिता है वह नदी
जिसने बनाई हैं यह चार दीवारें,
जो है उसके खून-पसीने से सजी।
प्रेम से एक प्रेमी बनता है,
और ज्ञान से ही एक ज्ञानी
माँ सरस्वती का वास होता है जिसमें,
वह है हमारे शिक्षकों की वाणी।
इस विश्व में है एक ऐसा अहम हिस्सा,
जिसकी एक तबस्सुम देती है अनेक कल्ब को दिलासा
जो लाता है जिस्मों को मौत के कुएं से बाहर,
वह देव समान बशर एक चिकित्सक है कहलाता।
फक्र है मुझे एक ऐसे जवान पर,
जिसे फना होना इक़रार है पर बेबस नहीं
अन्य चीजों की आशा नहीं,किंतु एक चीज वह मांगता है,
मृत्यु के समय भय नहीं,एक मुस्कान वह चाहता है।
ऐ दोस्त! एक इल्तिज़ा है तुझसे,
फरियाद न करना यदि भूल हुई हो मुझसे
मर के भी हमारी दोस्ती अमर हो,
यही दुआ मैं मांगूं परवरदिगार सेl
खुदा से यही गुज़ारिश है कि,
मेरे रफ़ीक पर इनायत करें
मुस्कराहट रहे उसके चेहरे पर सदा,
मैं जिंदा रहूं या कब्र में…l
ऐसे अनेक रिश्तों की अहमियत हम बखूबी जानते हैं,
बस अनजान हैं तो उससे जिसे सब की पहचान है
जरा मुकुर लेकर बताओ उस में दिखता है कौन,
क्योंकि,खुद को खुद की अहमियत अब स्वयं पहचाननी है।
माँ की कोख से ही जन्म लेना है,
और एक-न-एक दिन मौत से मिलना हैl
फर्क है तो सिर्फ इस बात का,
एक लकड़ियों पर लेटेगा और दूसरा कब्र में…ll
परिचय-दृष्टि जगदीश भानुशाली मेधावी छात्रा,अच्छी खिलाड़ी और लेखन की शौकीन भी है। इनकी जन्म तारीख ११ अप्रैल २००४ तथा जन्म स्थान-मुंबई है। वर्तमान पता कोपरखैरने(नवी मुंबई) है। फिलहाल नवी मुम्बई स्थित निजी विद्यालय में अध्ययनरत है। आपकी विशेष उपलब्धियों में शिक्षा में ७ पुरस्कार मिलना है,तो औरंगाबाद में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए फुटबाल खेल में प्रथम स्थान पाया है। लेखन,कहानी और कविता बोलने की स्पर्धाओं में लगातार द्वितीय स्थान की उपलब्धि भी है,जबकि हिंदी भाषण स्पर्धा में प्रथम रही है।