गरिमा पंत
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)
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बर्फ की जिंदगी कितनी कठिन होती है
हर समय पत्थर बने रहना
धूप की जब किरणें पड़ी,
तो पिघलना शुरू हो गया।
बर्फ से मिलती जिंदगी है,
रिश्ते,जिनको हम बर्फ की तरह कठोर बना देते हैं
हम अपनी ‘मैं’ में खो जाते हैं,
कोई भी बड़ा अपनी धूप रुपी बुद्धि देना भी चाहे,
तो हम लेना नहीं चाहते।
क्यों ?
क्योंकि,हम बर्फ की तरह कठोर हो जाते हैं,
तो हमें सबकी बात खराब लगती है
रिश्ते पूछते हैं,
कि क्या हम इसी तरह जमे रहेंगे ?
क्या कोई गर्मी इन रिश्तों को पिघला पाएगी,
हर घर में बर्फ जमी है…
कोई नहीं चाहता कि सूरज की रौशनी पड़े,
और रिश्तों पर पड़ी बर्फ पिघलने लगे…॥
परिचय-गरिमा पंत की जन्म तारीख-२६ अप्रैल १९७४ और जन्म स्थान देवरिया है। वर्तमान में लखनऊ में ही स्थाई निवास है। हिंदी-अंग्रेजी भाषा जानने वाली गरिमा पंत का संबंध उत्तर प्रदेश राज्य से है। शिक्षा-एम.बी.ए.और कार्यक्षेत्र-नौकरी(अध्यापिका)है। सामाजिक गतिविधि में सक्रिय गरिमा पंत की कई रचनाएँ समाचार पत्रों में छपी हैं। २००९ में किताब ‘स्वाति की बूंदें’ का प्रकाशन हुआ है। ब्लाग पर भी सक्रिय