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आनंद का दूजा नाम ‘सक्रांति’

मनोरमा जोशी ‘मनु’ 
इंदौर(मध्यप्रदेश) 
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मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष….

मकर संक्रांति पर्व हमारे संस्कृति-संस्कार का महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन तीर्थ स्थल पर स्नान करना और तिल-गुड़ दान करने का बहुत पुण्य है। सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति पर्व माना जाता है। इस दिन तिल गुड़ के लड्डू बनाए जाते है। बच्चे-बड़े सभी छत पर पतंग उड़ाते-पेंच लड़ाते आनंद लेते हैं। महिलाएं सुहाग साम्रगी के साथ तिल-गुड़ से परस्पर हल्दी कुमकुम करती है। संक्रांति पर सभी बहन-बेटियां मायके में आती हैl सबके द्वारा मिल कर बड़ी धूमधाम से यह त्योहार मनाया जाता है।
विशेष इस दिन पतंग उड़ाने का एक अलग ही मजा है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन सुबह तिल से स्नान कर घर के बड़ों के हाथ से तिल्ली दी जाती है। संक्रांति पर महिलाएं मंदिर में खिचड़ी और लडडू चढ़ाती है। दूसरे दिन घर पर खिचड़ी बनाई जाती है। यह त्यौहार अत्यंत हर्ष उल्लास से मनाया जाता है।

परिचय–श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर जिला स्थित विजय नगर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र-सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक,मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है।कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। एक काव्य संग्रह में आपकी रचना प्रकाशित हुई है।

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