कुल पृष्ठ दर्शन : 235

तेरहवीं का विहान

दीपक शर्मा

जौनपुर(उत्तर प्रदेश)

*************************************************

कल मेरे पड़ोसी
गंगू चाचा के पिताजी की तेरहवीं थी,
ब्रम्ह भोज में भीड़ खूब जुटी थी
पहले ब्राम्हणों ने भोग लगाया,
दक्षिणा ग्रहण की
फिर देर तक चलता रहा भोज,
गाँव के खड़ंजे पर
साइकिल,मोटर साइकिल,पैदल
कार,स्कार्पियो के आने-जाने से चहल-पहल थी
खद्दरधारी,काले कोट,सायरन,
व नीली बत्ती वालों के लिए
विशेष व्यवस्था थी,
अंत में-
‘उत्तीर्ण’ कहने के बाद,
सबने कहा-`मृतक की आत्मा को शांति मिलीl

सुबह घर के पिछवाड़े
जूठी पत्तलें,
चाटते हुए कुत्ते दिखे
बिखरे अन्न को,
टोड़ से उठाते पंछी
और खिड़की के पीछे,
शराब की अनेक खाली बोतलें
हलवाई नशे में अब तक धुत पड़ा हैl

गाँव के दक्षिणी टोला में
मुसहरों की बस्ती थी,
हाथ में लोटा,थाली,भगोना लेकर
औरतें और बच्चे
द्वार पर आ चुके थे,
जिन्हें कल के भोज में
निमंत्रण नहीं था,
उनमें कुछ डेरा डालकर
रहने वाले बाशिंदे थे,
वे झारखण्ड या छत्तीसगढ़ से
पलायन आदिवासी हैं,
दाल में खटास आ गई थी…
पर वे लेने से मना नहीं कर रहे थे,
सब्जी में गिरे कॉकरोच को
सावधानी से निकालकर,
बाहर फेंक दिया गया था
पूरियाँ कठोर हो गयी थी,
चावल लिजलिजाने लगे थे
किंतु उन्हें लेने में हिचक न थी,
वरन् अत्यधिक प्रसन्नता थी
बुनिया की डेग को ढक कर,
ओसारे में खिसका दिया गया था
जो कि मुसहरों के हिस्से में न थाl

उत्तरी टोले के लिए
जो भोजन,
बेकार और बेस्वाद हो चुका था
दक्षिणी टोला के लिए वही भोजन,
विशेषाहार था
आज उन्हें रोटी के लिए,
सोचना नहीं पड़ेगा
गेहूँ के खलिहान में,
मुसकइल में हाथ डालना नहीं पड़ेगा
पेड़ पर बैठे पंछी पर,
गुलेल से निशाना लगाना नहीं पड़ेगा
बच्चों को आगे करके,
किसी के आगे
हाथ फैलाकर गिड़गिड़ाना नहीं पड़ेगाl
आज जो मजदूरी कर लेंगे वे,
उनकी एक दिन की बचत होगीll

परिचय-दीपक शर्मा का स्थाई निवास जौनपुर के ग्राम-रामपुर(पो.-जयगोपालगंज केराकत) उत्तर प्रदेश में है। आप काशी हिंदू विश्वविद्यालय से वर्ष २०१८ में परास्नातक पूर्ण करने के बाद पद्मश्री पं.बलवंत राय भट्ट भावरंग स्वर्ण पदक से नवाजे गए हैं। फिलहल विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।आपकी जन्मतिथि २७ अप्रैल १९९१ है। बी.ए.(ऑनर्स-हिंदी साहित्य) और बी.टी.सी.( प्रतापगढ़-उ.प्र.) सहित एम.ए. तक शिक्षित (हिंदी)हैं। आपकी लेखन विधा कविता,लघुकथा,आलेख तथा समीक्षा भी है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविताएँ व लघुकथा प्रकाशित हैं। विश्वविद्यालय की हिंदी पत्रिका से बतौर सम्पादक भी जुड़े हैं। दीपक शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-देश और समाज को नई दिशा देना तथा हिंदी क़ो प्रचारित करते हुए युवा रचनाकारों को साहित्य से जोड़ना है।विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको लेखन के लिए सम्मानित किया जा चुका है।

Leave a Reply