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वृक्षारोपण

मीरा जैन
उज्जैन(मध्यप्रदेश)

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“अरे हरिया! तू यह क्या कर रहा है कल ही नेता जी ने यहां ढेर सारे पौधे लगा वृक्षारोपण का नेक कार्य किया है,ताकि हमारे गाँव में भी खूबसूरत हरियाली छा जाए और पर्यावरण शुद्ध रहे,देख अखबार में फोटो भी छपी है। एक तू है कि इन पौधों को उखाड़ने में तुला हुआ है तेरी जगह और कोई होता तो मैं पुलिस के हवाले कर देता। उन्होंने फोन कर मुझे इन पौधों की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा है समझा,चल भाग यहां से।”
गाँव के मुखिया की आवाज सुन हरिया ने सिर ऊपर उठाया और समझा,इसी स्वर में जवाब दिया-
“मुखिया जी! कल वृक्षारोपण के वक्त आप तो यहां थे नहीं,मैं ही था ये गढ्ढे भी मैंने खोदे हैं। नेताजी ने तो केवल अखबार में छपने के लिए ही वृक्षारोपण किया है,उसी काम को मैं अब अंजाम दे रहा हूँ। देखिए,आपके पीछे आम,जाम,नीम,जामुन आदि के पौधे रखे हैं जिन्हें में यहां-वहां से ढूंढ-ढूंढ कर इन गड्ढों में लगाने के लिए लाया हूँ और इन पौधों को देखिए जिन्हें उनके साथ आए लोग आनन-
फानन में पास वाले खेत से कुछ पौधे उखाड़ लाए और नेताजी के हाथों लगवाते हुए फोटो खींचा और चले गए।”
मुखिया जी की नजर जब उन पौधों पर पड़ी तो उनका तमतमाया चेहरा लटक गया, क्योंकि वे पौधे भिंडी,टमाटर,ग्वारफली,मिर्ची आदि के थे।

परिचय-श्रीमति मीरा जैन का जन्म २ नवम्बर को जगदलपुर (बस्तर)छत्तीसगढ़ में हुआ है। शिक्षा-स्नातक है। आपकी १००० से अधिक रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से व्यंग्य,लघुकथा व अन्य रचनाओं का प्रसारण भी हुआ है। प्रकाशित किताबों में-‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं (२००३)’ सहित ‘१०१ लघुकथाएं’ आदि हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-वर्ष २०११ में ‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं’ हैं। आपकी पुस्तक पर विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) द्वारा शोध कार्य करवाया जा चुका है,तो अनेक भाषा में रचनाओं का अनुवाद एवं प्रकाशन हो भी चुका है। पुरस्कार में अंतर्राष्ट्रीय,राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय कई पुरस्कार मिले हैं। प्राइड स्टोरी अवार्ड २०१४,वरिष्ठ लघुकथाकार साहित्य सम्मान २०१३ तथा हिंदी सेवा सम्मान २०१५ से भी सम्मानित किया गया है। २०१९ में भारत सरकार के विद्वानों की सूची में आपका नाम दर्ज है। श्रीमती जैन कई संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। बालिका-महिला सुरक्षा,उनका विकास,कन्या भ्रूण हत्या एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि कई सामाजिक अभियानों में भी सतत संलग्न हैं।

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