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मत

प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
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वही चेहरे हैं,
वही लोग हैं
सब क्या ? सिद्ध कर जाते हैं,
हर बार या कहूँ बार-बार
क्यूँ…?
‘मत’ घर-घर जा के मांगते हैं।

क्या इनको अपने ही,
काम पर नहीं भरोसा
यह लोगों को,
क्या कर के जता रहे हैं
समझ से परे है कि,यह सब कर,
घर-घर जा के यह कौन-सा विश्वास जगा रहे हैं,
क्यूँ…?
‘मत’ घर-घर जा के मांगते हैं।

एक तमाशा-सा बना दिया है,चुनाव को,
कहीं जिंदगी एक पैसे से भी सस्ती है
और कहीं पार्टियाँ बहा देती है करोड़ों ही,
यह हमारे समाज की,कौन-सी सभ्यता है…?
यह सब करके हम देश को किस गर्त में ले जाएँगे|
क्या सिर्फ ‘मत’,पार्टीबाजी तक ही रह जाएँगे।
क्यूँ…?
‘मत’ घर-घर जा के मांगते हैं।

सोच बदले,देश के भविष्य के लिए,
इस नौटंकी को बदलें
हम काम करेंगे,
हम काम करके दिखाएंगे।
हम निर्माता बनेंगे,निर्माता बनाएंगे,
भीख की राजनीति नहीं अपनाएंगे।
क्यूँ….?
‘मत’ घर-घर जा के मांगते हैं॥

परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` हैL ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़(जिला सोलन,हिमाचल प्रदेश) हैL आपको हिन्दी,पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हैL पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला),एम.ए.(अर्थशास्त्र,हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैंL इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी,निबंध तथा लेख है।सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL आपको लेखनी के लिए प्रंशसा-पत्र मिले हैंL सोशल मीडिया में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ हैL आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक-मैथिलीशरण गुप्त,जयशंकर प्रसाद,निराला,महादेवी वर्मा और पंत जी हैंL समस्त विश्व को प्रेरणापुंज माननेवाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है,श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।”