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इंतजार

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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रचना शिल्प:मात्रा भार सीढ़ी पँक्ति क्रम-२०-१८-१६-१४- १२-१०

मिल पत्थर पर बैठी सोच रही हूँ
जिस पर धुंधला इंतजार लिखा
उस घड़ी की राह तकती हूँ
हो सूनी आँखों में ख्वाब
कहीं ना हो फरियाद
हो जहाँ आबाद।

महज सुख रोकने संयम शब्द रहे
इंतजार करती मैं उस पल का
विपदाएं न हो हौंसला हो
आँसू खुशियों के छलके
मुस्कराने के बाद
जड़ में प्रेम खाद।

स्त्री इंसान मानी जाएगी एक दिन
इंतजार पथ इंतजार करती
शरीर इतर रूह समझेगा
आँखों चूम पलकों बिठा
खत्म दोयम रूदाद
स्त्री नहीं जायजाद।

बैठी इंतजार शिला पर सोचूँ मैं
अलग-अलग नाम से पुकारे क्यों
लड़ते-कटते करे दंगे लोग
नियंता नाम एक होगा
रहे बस अपनापन याद
एहसास आजाद।

कोई भीख मांगता भूखा न मरे
कहीं पर अधिकार हक न छीने
हर हाथ काम,दिमाग आराम
निंदक न हो न निंदा हो
हर जुबान वाह दाद
ना हो मन उदास॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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