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सफलता का मूल मंत्र ईश्वरीय आस्था

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

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यूँ तो परीक्षाएं कई प्रकार की होती हैं जैसे पढ़ाई-लिखाई की उपाधियों की परीक्षा,राजनीतिक एवं कूटनीतिक समस्याओं की चुनौतियों की परीक्षा,सामाजिक कुरीतियों को मिटाने की चुनौतियों की परीक्षा,दहेज न लेकर धर्मपत्नी के सपनों को साकार करने की चुनौतियों की परीक्षा और सरकारी नौकरी में उन्नति की परीक्षा। घर-गृहस्थी में प्रेमपूर्वक निर्वाह करने की परीक्षा इत्यादि से लेकर जीवन की सार्थक सफलता की परीक्षाओं में सफलता प्राप्ति का मूल मंत्र ‘दृढ़ निश्चय और कड़े परिश्रम के साथ-साथ आत्मविश्वास एवं ईश्वर पर आस्था’ है।
यदि दृढ़ निश्चय डगमगाने लगे तो कड़े परिश्रम का पसीना बहाया जाए,जब पसीना बहाना भी काम न आए तो आत्मविश्वास उसके घावों पर मरहम लगाए,पर जब उपरोक्त तीनों सशक्त स्तंभ कार्यपालिका,विधायिका व पत्रकारिता स्तंभों की भांति साथ छोड़ जाएं तो ईश्वर की आस्था के चौथे स्तम्भ का अनुसरण करें।
जैसे डॉ. भीमराव आम्बेडकर द्वारा लिखित भारतीय संविधान के तीनों सशक्त स्तम्भों के चरमराने के उपरांत चौथे स्तंभ ‘न्यायपालिका’ का अंतिम विकल्प व सहारा होता है,उसी प्रकार जब घर-परिवार,रिश्ते-नाते,धन-दौलत सहित नाक की सीध पर चलने वाला मूकदर्शक समाज साथ छोड़ दे तो ईश्वरीय आस्था का आशीर्वाद बना रहे और इसके सहारे जीवन से लेकर मृत्यु तक की अंतिम यात्रा सम्पूर्ण हो सके।

परिचय–इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैL इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैL वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैL राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैL कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंL सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंL आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैL प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंL कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंL अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैL प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।

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