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जल जीवन आधार

बृंदावन राय ‘सरल’
सागर(मध्यप्रदेश)
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ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष…

जल बिन जीवन कुछ नहीं,जल जीवन आधार।
जल से ही संसार का,होता है संचार।

साफ स्वच्छ सरिता नहीं,सकल सृष्टि में आज।
निर्मित करते यह दशा,जग में सभी समाज॥

सुंदर सड़कें हों सृजित,साफ स्वच्छ हो गाँव।
सुखमय नित संदेश से,सूरज रक्खे पाँव॥

सदा दूर साहित्य सद्,मिलें आज के सूर।
सम सुचिता सम्वेदना,इनसे कोसों दूर॥

सहज सरल संभव नहीं,इस जग का संचार।
साफ सफाई जल बिना,यह कहने का सार॥

सरिता-सी सहकारिता,रखता कौन समाज।
सबके सब हैं मतलबी,जिनके कर में राज॥

साफ-सफाई है हमें,जैसे हवा विशुद्ध।
ऐसी कोशिश सब करें,कहीं नहीं हो युद्ध॥

साफ-सफाई से घटें,आज प्रदूषण अंश।
जिससे सुख में होय जग,कल अपने ही वंश॥

ताल हमें हैं देवता,नदियां देवी रूप।
होने से हम रोक लें,इनको आज कुरूप॥

पानी गंगा तुल्य है,पानी सुख आधार।
पानी की भी स्वच्छता,जीवन का विस्तार॥

पानी पेड़ पहाड़ सब,हैं धरती के अंश।
इनको रक्खें स्वच्छ हम,तभी चलेगा वंश॥

वृक्षों को हम मान लें,माता-पिता समान।
इनके ही आशीष से,मिलता जीवन दान॥

नदियां फिर से स्वच्छ कर,जल का करें प्रयोग।
और नियंत्रित बाढ़ हो,ऐसे हो संयोग॥

नदियों में अब बंद हो,आज फेंकना लाश।
जो ऐसा जबरन करे,उसकी करो तलाश॥

साफ सफाई जल हमें,जीवन का आधार।
साफ-स्वच्छ इंसान से,दुनिया करती प्यार॥

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