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हम होंगे कामयाब

डॉ.मधु आंधीवाल
अलीगढ़(उत्तर प्रदेश)
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घर-परिवार स्पर्धा विशेष……

सुमि आज बच्चों की आपस की बातें कान लगा कर सुन रही थी। आज उसकी सासू जी का जन्म दिन था। जब एनसीआर में फ्लैट लेने का समय आया,तब उसके पति व दोनों ने एक ही टॉवर में फ्लैट लेने की योजना बना ली थी। सुमि और दोनों ननदों का आपस में बहुत अच्छा तालमेल था। तीनों परिवार के बच्चे बहुत परेशान थे कि,सासू यशोदा जी को कैसे मनाया जाए,क्योंकि वह ‘कोरोना’ के भय से बहुत भयभीत थी। उनको डर था कि पति तो बहुत पहले उसे अकेला छोड़ गए,अगर अब उनको इस बीमारी ने घेर लिया तो मेरे बच्चे बहुत परेशान हो जाएंगे।
ये एक ऐसी आपदा आ गई थी कि उनकी सब बुजुर्ग सहेलियां अपने फ्लैटों में बन्द थी। कितने दिनों से कोई नहीं मिल पा रहा था। हर टॉवर में कोई ना कोई इस बीमारी से जूझ रहा था। यशोदा जी अपने कमरे की खिड़की से एम्बुलेंस की आवाजें सुनती रहती थी। तीनों परिवारों ने आज तय कर लिया था कि,माँ के दिल से भय निकालना बहुत जरूरी है। माँ दोपहर को कमरा बन्द करके सो जाती थी। जब वह सो रही थी,उसी समय परिवार की सबसे छोटी नटखट पलक ने दरवाजे पर आकर जोर-जोर से गाना शुरू कर दिया-
‘हम होंगे कामयाब एक दिन,मन में है विश्वास ऐसा है विश्वास एक दिन…।’
यशोदा जी किवाड़ खोल कर देखती हैं,उनके परिवार के बच्चे और बड़े गुब्बारों पर मॉस्क पहना कर खिड़की से बाहर छोड़ रहे हैं और कहने लगे-माँ दादी नानी हैप्पी बर्थ डे। हम जीतेंगे,कोरोना उड़ जाएगा गुब्बारे की तरह।’
तब यशोदा जी ने सबको अपने आगोश में ले लिया। बोली-‘हाँ बच्चों,अब मुझे कमजोर नहीं होना बल्कि हर परिस्थिति में कठोर होना है और हम कामयाब होंगे एक दिन।’