कुल पृष्ठ दर्शन : 227

हम उम्मीदों का दीया जलाएंगे

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली
देहरादून( उत्तराखंड)
*******************************************************

दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष…..

इस बार दीपावली ऐसे मनाएंगे,
कोरोना का डर दिल से मिटाएंगे।
विभिन्न रंगों की रंगोली बनाकर,
अपना घर-आँगन खूब सजाएंगे।

आस-पास करेंगे सफ़ाई सब मिल,
दूरी बनाकर दीपक सजाएंगे।
सजेगी दीपमाला हर घर में,
गगन से देखने देव भी आएंगे।

स्वदेशी उत्पादों का करेंगे प्रयोग,
माटी के दीए किसी गरीब से लाएंगे।
उसकी झोपड़ी में जले खुशी का दीया,
उसको भी कुछ सौगात दे के आएंगे।

रौशनी के पर्व पर कहीं रहे न अँधेरा,
दिलों में हम उम्मीदों का दीया जलाएंगे।
विभिन्न रंगों की फूल मालाओं से,
सभी दर-ओ-दीवार हम सजाएंगे।

नहीं फोड़ेंगे बम,पटाखे और अनार,
पर्यावरण को सभी मिलकर बचाएंगे।
करेंगे इस तरह प्रकृति की रक्षा,
अपने शहर को प्रदूषण मुक्त कराएंगे।

प्रकाशमय हो जाए जो सारा संसार,
दीप धरा पर ऐसा हम जलाएंगे।
दिलों से नफ़रत की आग को दोस्तों,
इस दीवाली पर हम सब बुझाएंगे।

प्यार-मुहब्बत का पैगाम देने,
हम-तुम मिल दीया जलाएंगे।
रहें कोरोना काल में सुरक्षित,
ईश्वर के आगे झोली फैलाएंगेll

परिचय: सुलोचना परमार का साहित्यिक उपनाम ‘उत्तरांचली’ है,जिनका जन्म १२ दिसम्बर १९४६ में श्रीनगर गढ़वाल में हुआ है। आप सेवानिवृत प्रधानाचार्या हैं। उत्तराखंड राज्य के देहरादून की निवासी श्रीमती परमार की शिक्षा स्नातकोत्तर है। आपकी लेखन विधा कविता,गीत, कहानी और ग़ज़ल है। हिंदी से प्रेम रखने वाली `उत्तरांचली` गढ़वाली भाषा में भी सक्रिय लेखन करती हैं। आपकी उपलब्धि में वर्ष २००६ में शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय सम्मान,राज्य स्तर पर सांस्कृतिक सम्मान,महिमा साहित्य रत्न-२०१६ सहित साहित्य भूषण सम्मान तथा विभिन्न श्रवण कैसेट्स में गीत संग्रहित होना है। आपकी रचनाएं कई पत्र-पत्रिकाओं में विविध विधा में प्रकाशित हुई हैं तो चैनल व आकाशवाणी से भी काव्य पाठ,वार्ता व साक्षात्कार प्रसारित हुए हैं। हिंदी एवं गढ़वाली में आपके ६ काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। साथ ही कवि सम्मेलनों में राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर शामिल होती रहती हैं। आपका कार्यक्षेत्र अब लेखन व सामाजिक सहभागिता हैL साथ ही सामाजिक गतिविधि में सेवी और साहित्यिक संस्थाओं के साथ जुड़कर कार्यरत हैं।