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हम-तुम

शिवानी शुक्ला ‘श्रद्धा’
जौनपुर(उत्तरप्रदेश)
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काव्य संग्रह हम और तुम से


हम-तुम एक दिल एक जान हैं
अब बाकी ना कुछ अरमान हैं,
एक-दूजे बिन हम कुछ भी नहीं,
अब यही हमारी पहचान है।

मेरे लिए प्रियवर तुम तो
जीवन की सच्ची धूप हो,
जो आन बसा इस हृदय में
तुम वो मनभावन रुप हो।

तुम बिन साँसों का मोल नहीं
सब वीरान है मेरे लिए,
वो क्षण अनमोल है अपने तो
संग चले हाथ में हाथ लिए।

हम-तुम एक-दूजे के पूरक
प्रेम विश्वास के परिपूरक,
निज हृदय शुद्ध भावना हो
वो श्रेष्ठ समर्पण की सूचक।

जिस दिन से है तू हृदय बसा
मेरा अस्तित्व तुझी से है।
मेरा परिचय बस इतना ही
तू मुझमें है,मैं तुझमें हूँ॥