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प्रेम

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’
लखीमपुर खीरी(उप्र)
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काव्य संग्रह हम और तुम से

एक प्रश्न से जिन्दगी,में आया बदलाव।
जिसके उत्तर से मेरा,उससे हुआ जुड़ावll
उससे हुआ जुड़ाव,नाम पूछा,बतलाया।
देखा उसका चित्र,उसे फिर भूल न पायाll
हृदय उठे उद्गार,उदधि में लहरें जैसे।
मुझको उससे प्यार,हुआ उस एक प्रश्न सेll

पाती प्रियतम की मेरे,लाती थी सन्देश।
शब्दों से वो भेजते,थे उपहार विशेषll
थे उपहार विशेष,छवि दिखती थी खत में।
होता था आभास,सखी उनका उल्फ़त मेंll
सही न जाती पीर,हृदय विचलित कर जाती।
साजन का सन्देश,प्रेम संग लाती पातीll

प्रिय यह बतलाओ हमें,कब आओगे आप।
मेरे अंतस का तभी,मिट सकता संताप।
मिट सकता संताप,विरह की अग्नि जलाए।
पल-पल तेरी याद,हमें विचलित कर जाए।
हृदय बहुत बेहाल,न शिव को यूँ तड़पाओ।
क्या मुझसे अब प्यार,नहीं,प्रिय यह बतलाओ ?

बहुत सताती है मुझे,सही न जाए पीर।
सनम तुम्हारी याद में,बहें नेत्र से नीरll
बहें नेत्र से नीर,याद ऐसे तड़पाती।
बेसुध हुआ शरीर,रात को नींद न आतीll
पिया विरह की आग,मुझे पागल कर जाती।
बेकाबू जज़्बात,याद अब बहुत सतातीll

परिचय- शिवेन्द्र मिश्र का साहित्यिक उपनाम ‘शिव’ है। १० अप्रैल १९८९ को सीतापुर(उप्र)में जन्मे शिवेन्द्र मिश्र का स्थाई व वर्तमान बसेरा मैगलगंज (खीरी,उप्र)में है। इन्हें हिन्दी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। जिला-लखीमपुर खीरी निवासी शिवेन्द्र मिश्र ने परास्नातक (हिन्दी व अंग्रेजी साहित्य) तथा शिक्षा निष्णात् (एम.एड.)की पढ़ाई की है,इसलिए कार्यक्षेत्र-अध्यापक(निजी विद्यालय)का है। आपकी लेखन विधा-मुक्तक,दोहा व कुंडलिया है। इनकी रचनाएँ ५ सांझा संकलन(काव्य दर्पण,ज्ञान का प्रतीक व नई काव्यधारा आदि) में प्रकाशित हुई है। इसी तरह दैनिक समाचार पत्र व विभिन्न पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार देखें तो विशिष्ट रचना सम्मान,श्रेष्ठ दोहाकार सम्मान विशेष रुप से मिले हैं। श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा की सेवा करना है। आप पसंदीदा हिन्दी लेखक कुंडलियाकार श्री ठकुरैला व कुमार विश्वास को मानते हैं,जबकि कई श्रेष्ठ रचनाकारों को पढ़ कर सीखने का प्रयास करते हैं। विशेषज्ञता-दोहा और कुंडलिया केA अल्प ज्ञान की है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार (दोहा)-
‘हिन्दी मानस में बसी,हिन्दी से ही मान।
हिन्दी भाषा प्रेम की,हिन्दी से पहचान॥’

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