कुल पृष्ठ दर्शन : 245

You are currently viewing हम तुम एक-दूजे के

हम तुम एक-दूजे के

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

***********************************************

काव्य संग्रह हम और तुम से…..

हम-तुम इक-दूजे के साथी बनकर आते रहे हैं,आते रहेंगे,
‘रब’ ने हमको मिलाया,जन्मों से हम मिलते रहे हैं,सदा ही मिलेंगे।
हम-तुम…

इक दूजे से मिलकर हमने हर जनम में खुशियां ही पाईं,
दोनों ने ही इक-दूजे के जीवन में बहारें बिखराईं।
हम-तुम इक दूजे के बन के सदा ही,आते रहे हैं,आते रहेंगे,
हम-तुम…॥

सारी दुनिया की वादी में है खुशबू हमारे प्यार की ही,
हर मौसम में फिजाँ हर सू हैं बहारें आतीं हमसे ही।
हम-तुम जब तक जग में आते रहेंगे,मौसम सुहाने लाते रहेंगे,
हम-तुम…॥

महकाएंगे हम दोनों ही बस प्यार-मुहब्बत से जग को,
आने न देंगे हम दोनों दुनिया में कभी भी नफरत को।
हम-तुम दोनों आशिक,माशूका के जज्बे रचेंगे,सबको दिखेंगे,
हम-तुम…॥

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

Leave a Reply