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वृक्ष लगाओ

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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कानन मंगल आनन भावन,
अतिशय अन्याय कर न मानव
काट जला कर सारे जंगल,
बूझ-अबुझ तू मत बन दानवl

जीव-जंतु की शरणस्थली,
पलते उड़ते तैरते चलते
जाए कहाँ,जब घर उजड़ेगा,
वो दिल से रोते-बिलखतेl

अनुगूँज गूंज की गूंजेगी,
संवेदना पे न चला आरी
पर्यावरण का चक्र बिगड़ेगा,
मिटेगी मानव फुलवारीl

व्यथित न कर अनभिज्ञ न बन,
तेरी उसकी सबकी धरती माँl
नष्ट न हो,रहे अक्षुण सृष्टि,
वन लो बचा,मूक पशु कहताll

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