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मेरी स्वप्ननिशा तनु

जीवनदान चारण ‘अबोध’  
पोकरण(राजस्थान) 
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काव्य संग्रह हम और तुम से….

मेरी जीत-मेरी हार है तू,
और मेरी जिंदगी का उपकार है तू!
मेरे दिल के सागर का किनारा है तू,
अनजाने ख्वाबों की हकीकत है तू!!

अब तो आँखों को आँसू से मोहब्बत होने लगी है,
सुनसान रातों में भी मेरी बातें
गहराईयों में उतरने लगी है!!

तू मेरी है मैं तुझसे,
प्रीत का रिश्ता निभाऊंगा
मुझे नहीं पता क्या सीखा तूने मुझसे,
सपने हकीकत बनाऊंगा!

कभी तनु कभी निशा ये हालात हैं मेरे,
ये शब्द नहीं जीवनसंगिनी,जज्बात हैं मेरे!!
रहे तू हमेशा मेरी,
जरूरत नहीं मुझे ये बताने की।

यूँ निगाहों से नहीं चाहा कभी तुझे क्योंकि!
ये दिल तुझ पर निसार था,
मेरा तुझ पर हक था
मेरा तुझ पर अधिकार था,
मेरा तुझ पर अधिकार था!!

माँ तो नहीं मगर,
जिंदगी की अंतिम साँस है तू
आज हकीकत को जाना,
जिंदगी के हर लम्हें साथ है तू!!

कवि ‘अबोध’ लिख रहा हूँ,
दीवाना खुद को।
वाह क्या शौहर पाया है,
ये कहेगा जमाना तुझको॥

परिचय-जीवनदान चारण का बसेरा  पोकरण(राजस्थान) में है। ‘अबोध’  आपका साहित्यिक उपनाम है। इनकी जन्म तारीख १३ जुलाई १९९४ एवं जन्म स्थान गांव पोस्ट आरंग है। श्री चारण का स्थाई पता आरंग(जिला बाड़मेर)है। परम्पराओं के लिए प्रसिद्ध राज्य राजस्थान के अबोध ने बी.एड. सहित बी.ए. और एम.ए. की पढ़ाई की है। आपका कार्यक्षेत्र अध्यापक (विद्यालय-पोकरण) का है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आप समाज सुधार,प्रचलित कुप्रथाओं को दूर करने के लिए अपने विचारों से सतत सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा-दोहे,श्लोक,ग़ज़ल, कविता(विशेष-संस्कृत में गीत,श्लोक, सुभाषित, लेख भी।) है। प्रकाशन में  ‘कलम और कटार’ (किताब)आपके नाम है तो रचनाओं का प्रकाशन पत्र-पत्रिका में भी हो चुका है। आपकी विशेष उपलब्धि-संस्कृत साहित्य में लेखन करना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-ईश्वर उपासना,देवी गुणगान और देशभक्ति है।  आपके लिए प्रेरणा पुंज स्वामी विवेकानंद जी हैं।

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