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जब तुम मुझसे बात करती थी

दीपक शर्मा

जौनपुर(उत्तर प्रदेश)

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जब तुम मुझसे बात करती थी,
कितना अच्छा लगता था
और आज जब नहीं करती हो,
तो बिल्कुल खाली-खाली-सा लगता है।
मेरे बारे में तुम सब कुछ जानती थी,
और इतना जानती थी
जितना संसार में कोई नहीं जानता था,
मेरे भाई,बहन,दोस्त,माँ-बाप
कोई नहीं।
मेरे सोने-जागने,उठने-बैठने,चलने-फिरने, पढ़ने-लिखने,खाने-पीने की
सारी गतिविधियाँ सिर्फ तुम्हें पता थी,
हर काम का समय,कब और कहाँ
सिर्फ तुम्हें ही पता था।
जब तुम मुझसे बात करती थी,
दिनभर की सारी थकान
तुम्हारी इक हँसी मात्र से,
दूर हो जाती थी।
दिमाग में चल रही सारी चिंताओं को,
सोख लेती थी तुम
अपनी सारी यातनाएँ,
बताकर तुम्हें
बहुत हल्का महसूस करता था।
मेरा उबन भरा सारा काम,
रोचक बना देती थी तुम
तुमने कभी मुझे हतोत्साहित नहीं होने दिया,
तुम्हारे होने से
मेरी हार पर भी,
जीत का आभास होता था।
जब तुम मुझसे बात करती थी,
ये फूलों की क्यारियाँ
शाम का सुनहरा मौसम,
खेत में लहलहाती फसल
तालाब में तैरती मछलियाँ,
झीलों में बहता पानी
आकाश में छाए बादल,
कितने मनोरम लगते थे।
जब तुम मुझसे बात करती थी,
चाॅकलेट और आइस्क्रीम
खूब भाता था मुझे,
कैंटीन में बैठे घंटों बीत जाते थे
चाय ठंडी ही नहीं होती थी।
घंटों का सफर,
पल भर में ही कट जाता था
सिनेमाहाल के हर रोमांचक दृश्य में,
सिर्फ तुम दिखाई देती थी
भोर से लेकर रात हो जाती,
समय का पता ही नहीं चलता था।
जब तुम मुझसे बात करती थी,
मेरा गुरूर सातवें आसमान पर था
तुम्हारे लिए अपने सैकाड़ों कार्य,
दूसरे समय के लिए टाल देता था।
तुम्हारे फोन पर अन्य सारे,
अनदेखे कर देता था
जब तुम मुझे परेशान करती थी,
तो अच्छा लगता था।
और जब नहीं करती थी,
अच्छा नहीं लगता था
मैंने तुम्हें कई बार रुलाया,
जिसका दर्द मुझे आज भी है।
और आज जब तुम,
मुझसे बात नहीं करती हो
बार-बार याद आती हो,
बार-बार याद आती हो।
मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता,
कुछ भी अच्छा नहीं लगता॥

परिचय-दीपक शर्मा का स्थाई निवास जौनपुर के ग्राम-रामपुर(पो.-जयगोपालगंज केराकत) उत्तर प्रदेश में है। आप काशी हिंदू विश्वविद्यालय से वर्ष २०१८ में परास्नातक पूर्ण करने के बाद पद्मश्री पं.बलवंत राय भट्ट भावरंग स्वर्ण पदक से नवाजे गए हैं। फिलहल विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।आपकी जन्मतिथि २७ अप्रैल १९९१ है। बी.ए.(ऑनर्स-हिंदी साहित्य) और बी.टी.सी.( प्रतापगढ़-उ.प्र.) सहित एम.ए. तक शिक्षित (हिंदी)हैं। आपकी लेखन विधा कविता,लघुकथा,आलेख तथा समीक्षा भी है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविताएँ व लघुकथा प्रकाशित हैं। विश्वविद्यालय की हिंदी पत्रिका से बतौर सम्पादक भी जुड़े हैं। दीपक शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-देश और समाज को नई दिशा देना तथा हिंदी क़ो प्रचारित करते हुए युवा रचनाकारों को साहित्य से जोड़ना है।विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको लेखन के लिए सम्मानित किया जा चुका है।