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असली जीवन श्रृंगार

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’
सहारनपुर (उप्र)
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प्रभु नाम असली जीवन श्रृंगार है,
बिन इसके गुण रूप भी बेकार है।

आगे क्या होगा ये सोच के मन घबराए,
मन के घबराते ही तन भी ना निभा पाए।
इस दुविधा में होता बंटाधार है,
प्रभु नाम असली…॥

किसी से हैं ईर्ष्या किसी से राग द्वेष है,
घर-घर में है क्लेश, कैसा ये परिवेश है।
नाम की है खुशी, नाम के त्यौहार हैं,
प्रभु नाम असली…॥

खुशियों की दुकान पे बिकती सुरा- सुंदरी,
बिकते हैं रिश्ते, संग बिकती गहने- मुंदरी।
झूठी दुनिया के सब झूठे व्यवहार हैं,
प्रभु नाम असली…॥

दुनिया में आके हर चीज का कुछ मोल लगे,
जीने का मोल और कफन का भी मोल लगे।
प्रभु भक्ति ही अनमोल-सा उपहार है,
प्रभु नाम असली…॥

हर पल प्रभु नाम ले, पंछी-सा चहकता जा,
हँसते-खिलखिलाते फूलों-सा महकता जा।
बस में कुछ ना काहे को सोगवार है,
प्रभु नाम असली…॥

प्रभु नाम असली जीवन श्रृंगार है।
बिन इसके गुण रूप भी बेकार है…॥