सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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काले घन नभ छाए,
बरस रहे बदरा
मन को अति हर्षाए।
सखियों की राह तकूँ,
आ जाओ तुम सब
सब मिल कर भीग सकूँ।
बाग़ों में पिक बोले,
साजन आ जाना
बैठी मैं घर खोले।
पुलकित वन-उपवन है,
पावस ऋतु आई
गीतों का मौसम है॥
