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छुई-मुई का दीवाना

संजीव एस. आहिरे
नाशिक (महाराष्ट्र)
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मैं आषाढ़ सावन में छुई-मुई का बड़ा दीवाना बन जाता हूँ,
देखकर आश्चर्य से छुई-मुई का खिलना मन ही मन सोंचता रहता हूँ
प्रकृति का जीता-जागता चमत्कार जानकर मन ही मन भरमाता हूँ,
बहुत हौले से छुई-मुई क़ो छूकर, लज्जा से उसक़ो सिमटता पाता हूँ।

बहुत शर्मीली, बहुत लचीली बहुत ही मनोरम इसका है साज,
ईश्वर ने ऐसा विलक्षण पौधा बनाकर समूची प्रकृति में भर दिया नाज़
आहट पाकर केवल इसका शरमा जाना अपने-आपमें बड़ा है राज़,
थोड़ा-सा ठीक से जरा निहारो तो तुरंत ही गिरा देती है गाज।

मैं तो बहुत घायल हो जाता हूँ हमेशा छुई-मुई के गाज गिराने से,
चरम सुंदरा लाजवन्ती क़ो लजा देता है रूप इसका केवल छूने से
जरा हटा लो हाथ और छुप जाओ तो खिलखिलाती है स्पर्श न पाने से,
थोड़ा हौले सलीके से छूना भैया छुई-मुई है डरती बहुत ज़माने से।

आषाढ़-सावन में कोई सानी नहीं इसका, बन जाती है रूप की रानी,
जामुनी रंग के सुमन खिलाकर बदन पर सौंदर्य की करती है ये मनमानी
उगते सूरज की कोमल किरणे पीकर स्वर्णिम पराग बिखेरती है मधुरानी,
बड़ी ही पावन, मनभावन, लुभावन खिल-खिलाकर हँसती है लाजो रानी।

पंखुरी-पंखुरी जैसे सूरज खिला है और उसमें जामुनी रंग मिला है,
किरण-किरण पर चमकता मोती नाजुक हरियासा जैसे संग मिला है…
वरक सुनहरा और जस्मिनी दमकते सूर्य का तेजस्वी ढंग मिला है,
दूर से ही निहारना लाजवन्ति क़ो मेरे भैया, तुम्हारी नजर में अनुरंग मिला है॥

परिचय-संजीव शंकरराव आहिरे का जन्म १५ फरवरी (१९६७) को मांजरे तहसील (मालेगांव, जिला-नाशिक) में हुआ है। महाराष्ट्र राज्य के नाशिक के गोपाल नगर में आपका वर्तमान और स्थाई बसेरा है। हिंदी, मराठी, अंग्रेजी व अहिराणी भाषा जानते हुए एम.एस-सी. (रसायनशास्त्र) एवं एम.बी.ए. (मानव संसाधन) तक शिक्षित हैं। कार्यक्षेत्र में जनसंपर्क अधिकारी (नाशिक) होकर सामाजिक गतिविधि में सिद्धी विनायक मानव कल्याण मिशन में मार्गदर्शक, संस्कार भारती में सदस्य, कुटुंब प्रबोधन गतिविधि में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ विविध विषयों पर सामाजिक व्याख्यान भी देते हैं। इनकी लेखन विधा-हिंदी और मराठी में कविता, गीत व लेख है। विभिन्न रचनाओं का समाचार पत्रों में प्रकाशन होने के साथ ही ‘वनिताओं की फरियादें’ (हिंदी पर्यावरण काव्य संग्रह), ‘सांजवात’ (मराठी काव्य संग्रह), पंचवटी के राम’ (गद्य-पद्य पुस्तक), ‘हृदयांजली ही गोदेसाठी’ (काव्य संग्रह) तथा ‘पल्लवित हुए अरमान’ (काव्य संग्रह) भी आपके नाम हैं। संजीव आहिरे को प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में अभा निबंध स्पर्धा में प्रथम और द्वितीय पुरस्कार, ‘सांजवात’ हेतु राज्य स्तरीय पुरुषोत्तम पुरस्कार, राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार (पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार), राष्ट्रीय छत्रपति संभाजी साहित्य गौरव पुरस्कार (मराठी साहित्य परिषद), राष्ट्रीय शब्द सम्मान पुरस्कार (केंद्रीय सचिवालय हिंदी साहित्य परिषद), केमिकल रत्न पुरस्कार (औद्योगिक क्षेत्र) व श्रेष्ठ रचनाकार पुरस्कार (राजश्री साहित्य अकादमी) मिले हैं। आपकी विशेष उपलब्धि राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार, केंद्र सरकार द्वारा विशेष सम्मान, ‘राम दर्शन’ (हिंदी महाकाव्य प्रस्तुति) के लिए महाराष्ट्र सरकार (पर्यटन मंत्रालय) द्वारा विशेष सम्मान तथा रेडियो (तरंग सांगली) पर ‘रामदर्शन’ प्रसारित होना है। प्रकृति के प्रति समाज व नयी पीढ़ी का आत्मीय भाव जगाना, पर्यावरण के प्रति जागरूक करना, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु लेखन-व्याख्यानों से जागृति लाना, भारतीय नदियों से जनमानस का भाव पुनर्स्थापित करना, राष्ट्रीयता की मुख्य धारा बनाना और ‘रामदर्शन’ से परिवार एवं समाज को रिश्तों के प्रति जागरूक बनाना इनकी लेखनी का उद्देश्य है। पसंदीदा हिंदी लेखक प्रेमचंद जी, धर्मवीर भारती हैं तो प्रेरणापुंज स्वप्रेरणा है। श्री आहिरे का जीवन लक्ष्य हिंदी साहित्यकार के रूप में स्थापित होना, ‘रामदर्शन’ का जीवनपर्यंत लेखन तथा शिवाजी महाराज पर हिंदी महाकाव्य का निर्माण करना है।