ममता साहू
कांकेर (छत्तीसगढ़)
*************************************
जाति वर्ण और भेदभाव,
लोकतंत्र पर है भारी
ऊँच-नीच के चक्कर में,
लड़ती है यह दुनिया सारी।
अमीर गरीब गोरा काला,
छोटे बड़े की भावना
है बड़ी ही अत्याचारी,
इस दुनिया में आने वाला,
हर शख्स है समानता का अधिकारी।
जाति-धर्म की बातें करके,
जो लोगों को भड़काते हैं
देश की एकता और अखंडता को,
तार-तार कर जाते हैं
ऐसे लोगों से ही,
भरी है ये दुनिया सारी
जाति-वर्ण लोकतंत्र के लिए है भारी।
जो नफरत की जहर घोल रहे हैं,
आपस में हमको तोड़ रहे हैं
उनकी पहचान हमको करना है,
एकता और अखंडता पर लगी चोट को भरना है।
जात-पात को छोड़कर राष्ट्रधर्म अपनाना है,
भाईचारे की भावना से सबको गले लगाना है॥
