हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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जीत के लिए हम
हार से नहीं डरें,
गिरना-फिर संभलना
यही जीवन का आधार है।
रोना काहे का, आँसू मत बहाना
हँसते हुए आगे बढ़ते जाना,
जीवन में संघर्ष तो करना पड़ता है
यही जीवन का आधार है।
डरने वाले क्या लड़ेंगे ज़माने से,
यहाँ दुनिया वाले तो बहुत ज़ालिम है
जीने भी नहीं देंगे और ना मरने देंगे तुझे,
इसलिए चलते रहना, यही जीवन का आधार है।
दुनिया में बहुत दर्द है
पर दर्द को लेकर कब तक बैठे रहोगे ?
आगे बढ़ो और उठ खड़े हो, निराशा को छोड़ दो।
आशा व विश्वास की और क़दम उठा,
क्योंकि
यही जीवन का आधार है॥
