अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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‘गणपति’
घर आइए
स्वागत है आपका,
सबके दुलारे
वंदन।
‘बप्पा’
तेजमयी शिवनन्दन
गणेश तुम्हारा अभिनंदन,
पद सरोज
नमन।
‘गजानन’
करूँ विनती
दो सबको सुख,
हरो दुःख
विघ्नहर्ता।
‘गणराज’,
शुभ करो
गौरीनन्दन बरसाओ कृपा,
उमा तनय
गजानन।
‘गणनायक’
विराजित रहो
सदा पूजें आपको,
फल सुखदायक
गजमुख।
‘बुद्धेश’
कुमति हरो
पापी न बनें,
एकदन्त दयावंत
करुणेश।
‘करुणेश’
बुद्धि विधाता
सकल मनोरथ पूर्णक,
हो कीर्तिधारी
मोक्ष।
‘चारभुजाधारी’
सुनो हमारी
मिटाओ पीड़ा सारी,
पूज्य प्रभु,
शुभकर्ता।
‘लम्बोदर’
जलन मिटाओ
जग को सुधारो,
तुम्हीं प्रथम
सानंद।
‘मंगलेश’
हों सुपथ
सुखमय करो दुनिया,
बुद्धिमान सब
संसार।
‘विघ्नेश्वर’
डूबे कष्ट
दो सुख-शांति,
मुस्काए आँगन
मन।
‘गणेश’,
आओ पधारो
हर घर-आँगन,
देखो दु:ख
अपरम्पार।
‘मूषकराज’,
क्या बताएं
कितना क्रंदन जग।
पाप-माया,
पुण्य॥