पद्मा अग्रवाल
बैंगलोर (कर्नाटक)
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हमने आजादी के ७८ गौरवशाली वर्ष पूरे कर लिए हैं। १५ अगस्त हमारे लिए सिर्फ एक तारीख नहीं है, वरन् हमारे पूर्वजों के बलिदान, संघर्ष और अडिग संकल्प का अमिट प्रतीक है। २०४७ तक विकसित भारत के लक्ष्य को सामने रखते हुए हम सब नए इरादे और नई उम्मीदों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। आज का भारत वैश्विक मंच पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करवा रहा है, परंतु हमारी यह यात्रा तभी पूर्ण होगी, जब हम सभी एकता, समावेशिता व स्वावलंबन की मशाल लेकर साथ चलेंगें। हर नागरिक का सशक्त होना और राष्ट्रप्रेम का जज्बा ही वह शक्ति है, जो हमें ऐसे भारत की ओर ले जाएगी;जो न सिर्फ विश्व में अग्रणी होगा, वरन् भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए गर्व का आधार बनेगा।
आज का भारत अपनी विरासत पर गर्व करता है, और उज्जवल भविष्य के संकल्प के साथ आश्वस्त भी दिखाई पड़ता है। कभी ‘सोने की चिड़िया’ कहे जाने वाला देश जब १९४७ में आजाद हुआ तो बैलगाड़ियों और सपेरों वाला देश कहा जाता था। देश के भविष्य के प्रति लोगों के मन में संदेह था, परंतु आज देश की बुलंद तस्वीर पूरे विश्व के लिए एक सबक की तरह से है।
विभाजन की विभीषका के साथ मिली आजादी में विकास के लिए अनेक चुनौतियों के बीच पाकिस्तान द्वारा सीमा पर घुसपैठ, १९६२ में चीन के और पाकिस्तान के साथ ६५ के युद्ध ने नए भारत की चुनौतियों को और बढ़ा दिया। पाक द्वारा सीमा पर निरंतर पर घुसपैठ, देश में अराजकता और अशांति फैलाने के साथ विकास की रफ्तार को कमजोर करने के प्रयास के बावजूद देश ने एक के बाद एक आपदाओं में अवसर तलाशने की जीवटता दिखाई है।
एक समय ऐसा भी था, जब देशवासियों की भूख मिटाने के लिए हमारी सरकार अमेरिका की ओर हसरत भरी निगाहों से देखा करती थी, और अमेरिका अपने नागरिकों के ना खाने योग्य गेंहूँ हमारे देश को देता था, लेकिन अब हरित क्राँति ने हमें खाद्यान्न का निर्यातक बना दिया है, परंतु आज भी हमारे किसान भाई बदहाल हैं। जब तक किसान खुशहाल नहीं होंगें, हम सही मायने में खुशहाल नहीं माने जा सकते हैं। कड़वी सच्चाई यह है, कि देश जब आजाद हुआ था, भारत की तस्वीर गरीब, अशिक्षित और बदहाल देश की थी, जिससे आपस में जाति, संप्रदाय, भाषा और संस्कृति के नाम की विभाजक लकीरें खींची जा सकती थी। ऐसी स्थिति में भी मजबूत अर्थव्यवस्था और सैन्य शक्ति के साथ अंतरिक्ष विज्ञान में देश ने ऊँची छलांग लगा कर विरोधियों के दिल में हलचल मचा दी है ।
१९७१ में जब अमेरिका ने पाक की मदद के लिए अपने जंगी जहाज के बेड़े की धमकी दी, तो भी हमारी तत्कालीन सरकार ने बिना किसी डर के बांग्लादेश को एक स्वतंत्र देश बनाया, और १९७४ में परमाणु परीक्षण करके अपनी शक्ति और पराक्रम का परिचय दिया था।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ५ स्थाई सदस्य देशों के अतिरिक्त हमारा भारत देश परमाणु क्षमता से संपन्न पहला राष्ट्र बना था। अब तो भारत रक्षा उपकरण दुनिया के कई देशों को निर्यात भी कर रहा है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ द्वारा पूरा विश्व भारत की शक्ति और तकनीक देख कर आज हतप्रभ है।
हमारे भारत का युवा वर्ग पूरे विश्व में आई.टी. क्षेत्र में अपना कमाल दिखा रहा है। देश का यूपीआई सिस्टम देख पूरा विश्व हमारी क्षमता और उन्नति पर चकित है।
मात्र ७८ वर्ष की आजादी में भारत ने हर क्षेत्र में तरक्की के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। चाहे तकनीकी क्षेत्र हो या रक्षा, शिक्षा और चिकित्सा में उपलब्धियों के बड़े मुकाम हासिल किए हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा शक्तिस्रोत हमारा सशक्त लोकतंत्र है, जो दिनों-दिन मजबूती के साथ सशक्त और जीवंत होता जा रहा है। जब हम पूरे विश्व पर नजर डालते हैं, तो अपने देश के लोकतंत्र पर गर्व की अनुभूति होती है।
स्वतंत्रता मिलने के बाद आठवें दशक तक पहुँचते-पहुँचते हमारे देश को अनेक परीक्षा और संकटों से गुजरना पड़ा है। देश ने कई आंतरिक उतार-चढ़ाव भी देखे हैं। अतीत के साथ अनेक सांस्कृतिक परिवर्तनों के बीच भारत विकास की ओर उन्मुख विश्व के उन्नत देश के रूप में उभर कर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहा है। हमें सामाजिक, आर्थिक, भौगोलिक, विभिन्न भाषा-भाषी, राजनीतिक और धार्मिक बहुलताओं के बीच ताल-मेल बिठाने में काफी हद तक सफलता मिली है। चौथे क्रम की आर्थिक शक्ति के रूप में वैश्विक स्तर पर भारत का उदय हम भारतवासियों के लिए गौरव और गर्व का विषय है।
शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति होती दिखाई दे रही है, परंतु इसके साथ भ्रष्टाचार और दायित्व बोध की कमी जैसे मूल्यों के क्षरण की समस्याओं में बढ़ोतरी चिंतनीय विषय है।
स्वतंत्रता दिवस का उत्सव हम सबको लोकतांत्रिक, समतावादी और न्यायसंगत सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता का स्मरण कराता है। स्वतंत्रता दिवस हमको अपने राष्ट्र की प्रगति और कल्याण में सक्रिय योगदान के लिए प्रेरित करता है।
यह पावन पर्व हर भारतीय के लिए आत्मान्वेषण हेतु प्रेरित करने का अवसर है। यह सभी को अपने देश और कर्तव्य के प्रति जागरूक रहने की याद दिलाने का पर्व है।
देशभक्ति केवल इतिहास की बात नहीं होनी चाहिए, या केवल सैनिक बन कर मोर्चे पर जाना नहीं है;वरन् देश के विकास में सहभागी बन कर भी देशभक्ति का जज्बा दिखाया जा सकता है। हम सभी के मन, तन और आचरण से राष्ट्र हित का जज्बा सर्वोपरि होना चाहिए। राष्ट्र गौरव और हित को प्राथमिकता देते हुए स्वावलंबन एवं सशक्तीकरण की तरफ कदम बढाने के लिए एकता और सामूहिक प्रेरणा आज की जरूरत बन चुकी है। इसके लिए पारस्परिक सौहार्द्र और समावेशी दृष्टि को अपनाने की आवश्यकता है।
हमारे देश में इस समय युवा वर्ग का प्रतिनिधित्व पूरे विश्व में सबसे ज्यादा है। यह ऐसा अवसर है कि हम योजनाबद्ध तरीके से इस शक्ति का समुचित उपयोग विकास के लिए करें।