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मेरी बदकिस्मती

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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मेरी बदकिस्मती की,
हवा ज़रा-सी क्या चली
बिना कुछ जाने-समझे,
तुमने साथ ही छोड़ दिया।

जब चाहा खेलती रही,
मेरे जज़्बातों से
जब दिल भर आया तो,
दिल ही तोड़ दिया।

बेबुनियादी बातों पर,
क्यों रुखसत हो गई
सच्चाई को जाने बिना ही,
मुँह मोड़ लिया।

इकरार करते-करते,
इन्कार कर दिया
हमें देखा तक नहीं और,
गैरों से रिश्ता जोड़ लिया।

अर्थहीन बातों पर,
अपना जमीर खो दिया।
खता तुम करते रहे और,
ठीकरा मुझ पर फोड़ दिया॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।