वाचन और विमर्श…
भोपाल (मप्र)।
वर्तमान समय में लघुकथा साहित्य की सबसे लोकप्रिय और चर्चित विधा है। बहुत संघर्षों के बाद इसने अपना स्थान बनाया है। लघुकथा के लिए आधार भूमि तैयार कर उसे इस मुकाम तक लाने में वरिष्ठ साहित्यकार-लघुकथाकार डॉ. अशोक भाटिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
लघुकथा शोध केंद्र समिति (भोपाल) के सचिव व लघुकथाकार घनश्याम मैथिल ‘अमृत’ ने समिति द्वारा आभासी माध्यम में आयोजित बुधवारीय लघुकथा गोष्ठी में डॉ. अशोक भाटिया की ५ लघुकथाओं का वाचन और समीक्षात्मक वक्तव्य देते हुए यह उदगार व्यक्त किए।
आरम्भ में केंद्र की निदेशक श्रीमती कांता रॉय ने स्वागत उद्बोधन दिया और अग्रज लघुकथाकारों की लघुकथाओं के पाठ और विमर्श की आवश्यकता को रेखांकित किया। आपने आगामी विविध पाठ्यक्रम की जानकारी देते हुए सक्रिय भागीदारी की अपील की।
गोष्ठी में श्री मैथिल ने ‘कपों की कहानी’ समाज में व्याप्त अस्यपृश्यता को लेकर, ‘बैताल की नई कहानी’ क्षेत्रीयता जातिवाद और धर्म के नाम पर अलगाव आदि पर रची गई लघुकथाओं का पाठ किया। लघुकथाओं पर शिवताज सिंह, डॉ. निहार गीते और डॉ.रमेश यादव आदि ने भी महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ प्रस्तुत की।
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती रॉय ने किया।