इंदौर (मप्र)।
विश्वभर में मातृभाषा हिन्दी को और लोकप्रिय बनाने के अभियान में हिन्दीभाषा डॉट कॉम परिवार द्वारा सतत स्पर्धा कराई जा रही है। इसी निमित्त ‘ज़िन्दगी-मित्रता’ विषय पर १००वीं स्पर्धा में पद्य में प्रथम विजेता बनने में डॉ. विद्या ‘सौम्य’ एवं गद्य में डॉ. डॉ. मीना श्रीवस्तव सफल रहीं हैं।
परिणाम जारी करते हुए मंच-परिवार की सह-सम्पादक श्रीमती अर्चना जैन और संस्थापक- सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ ने सभी को जानकारी दी है। श्रीमती जैन ने बताया कि, प्राप्त रचनाओं में से श्रेष्ठता अनुरुप निर्णायक मंडल ने पद्य में कविता ‘मित्रता’ नवल प्रभात के लिए डॉ. विद्या ‘सौम्य’ (प्रयागराज, उप्र) को प्रथम चयनित किया है। इस वर्ग में ‘मैत्री हो भाग्यवान’ हेतु डॉ. रामकुमार झा ‘निकुंज’ (दिल्ली) को द्वितीय एवं ‘साथ तुम्हारा रहे साथियों’ के लिए डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया (झारखण्ड) को तीसरा जीता हुआ माना है।
आपके अनुसार गद्य में आलेख
‘मित्रता:एक अनमोल अनुभूति’ पर डॉ. मीना श्रीवास्तव (मुम्बई, महाराष्ट्र) ने सबको पछाड़ दिया है। इसी में ‘सच्चे मित्र से ज़िन्दगी खुशहाल’ आलेख के लिए प्रो. लक्ष्मी यादव (मुम्बई, महाराष्ट्र) को दूसरा स्थान मिला है।
आपने बताया कि मंच संयोजक प्रो. डॉ. सोनाली सिंह, मार्गदर्शक डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’, परामर्श दाता डॉ. पुनीत द्विवेदी (मप्र), विशिष्ट सहयोगी एच.एस. चाहिल व प्रचार प्रमुख श्रीमती ममता तिवारी ‘ममता’ (छग) ने सभी विजेताओं एवं सहभागियों को हार्दिक बधाई दी है। श्रीमती जैन ने बताया कि, हिंदी साहित्य अकादमी (मप्र) से अभा नारद मुनि पुरस्कार-सम्मान एवं १ राष्ट्रीय कीर्तिमान प्राप्त १.५५ करोड़ १५ हजार दर्शकों-पाठकों के अपार स्नेह और १० सम्मान पाने वाले इस मंच द्वारा आयोजित नयी स्पर्धा की जानकारी शीघ्र ही दी जाएगी।