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संवेदना

पद्मा अग्रवाल
बैंगलोर (कर्नाटक)
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आरवी और गर्व दोनों में दोस्ती थी। उन दोनों के बीच क्लास में प्रथम पोजीशन के लिए हमेशा कॉम्पीटिशन रहता था। इधर, कुछ दिनों से गर्व को बार-बार बुखार आ जाता था। वह कमजोर भी होता जा रहा था। जब उसके पापा ने उसको दिल्ली ले जाकर सब टेस्ट कराए तो मालूम हुआ कि उसे कैंसर है। इलाज की लंबी प्रक्रिया के बाद कष्टप्रद कीमोथैरेपी में उसके बाल झड़ गए थे। जब वह स्कूल आया तो उसके गंजे सिर को देख कर कुछ लड़के हँसते और उसका मजाक बना कर चिढ़ाया करते। उसको ‘गंजू पटेल’ कहा करते। जबकि इस समय वह अपनी ही परेशानियों से घिरा हुआ था। वह रुआंसा हो उठता, परंतु पढ़ाई में व्यवधान न हो इसलिए वह चुप और उदास रहता। आरवी को गर्व की दशा देख कर बहुत खराब लगता। वह सोच नहीं पा रही थी, कि गर्व के लिए वह क्या कर सकती है, जिससे ऐसी मुश्किल घड़ी में उसको सहायता और प्रेरणा मिले कि कोई तो उसका साथ देने वाला इस दुनिया में है।
फिर अचानक उसके मन में एक विचार ने जन्म लिया। उसने मन ही मन निश्चय कर लिया, कि उसे अपने दोस्त गर्व के लिए अपने बालों की बलि देने में जरा भी संकोच नहीं करना चाहिए।
१६ वर्षीय आरवी को अपने बालों से बहुत प्यार था। वह अपने काले लहराते लंबे बालों को शीशे में देख बहुत खुश हुआ करती थी और अक्सर बालों में नई-नई स्टाइल भी बना कर अपनी माँ सरिता को दिखाया करती थी ।
३-४ दिन से बेटी को गुमसुम देख सरिता जी बोलीं, “मेरे पास आओ, बालों में तेल डाल दूं। क्या बात है ? बहुत चुप-चुप हो, कोई परेशानी है तो मुझे बताओ।”
मन ही मन में वह निश्चय करके बोली, “मॉम, आज आपको मुझसे एक बात के लिए प्रॉमिस करना होगा।”
“हाँ… हाँ… कुछ बोलो भी।‘’
“मुझे अपना मुंडन करवाना है।“
“दिमाग खराब है क्या ?”
“आप पक्का प्रॉमिस कर चुकी हैं।‘’
जब वह पार्लर से मुंडन करवा कर आई तो उसकी शक्ल देख कर सरिता जी की आँखों में आँसू आ गए थे, लेकिन चेहरे पर कोई पीड़ा नहीं थी। वह सुबह स्कूल जाने लगी तो उन्होंने स्कार्फ निकाल कर दिया।
“नो, मॉम।”
वह जैसे ही क्लासरूम में पहुंची, पूरी क्लास में सन्नाटा छा गया।
महिमा मैडम क्लास में आते ही चौंक पड़ी, “आरवी तुमने अपने बाल क्यों कटवाए ?’
“मैडम, गर्व के बाल कीमोथैरेपी के कारण चले गए थे, इसलिए क्लास में सभी उसको देख कर हँसते थे और उसका मजाक उड़ाते थे। इसी वजह से मैंने अपना मुंडन करवा लिया। मैं गर्व के साथ हूँ, अब वह अकेला नहीं है।‘’
यह सुनकर पूरी क्लास का सिर शर्म से झुक गया था। आरवी की संवेदना के लिए प्रेयर ग्राउंड में प्रिंसिपल ने उसे प्रशंसा-पत्र देकर सम्मानित किया।