डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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जगमग जीवन ज्योति( दीपावली विशेष)…
देव सदा आपका आशीष प्रकाश हो,
सुख का जलता हर दहलीज पर दीया हो
विश्वास आस भरे भक्तजन करे वंदन,
श्री गणेश लक्ष्मी सदा गृह में वास हो।
दुःखी मानवीय तड़प पीड़ा का विनाश हो,
घृणा लोभ छल कलुषता का ना भाव हो
जगे स्नेह सुकर्म शिक्षा से प्रगति भरा,
प्रकाशित हर दहलीज पर दीया हो।
‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ का संदेश लेकर आने वाले ५ दिनों के प्रकाश पर्व की लंबी श्रृंखला में सबसे ज्यादा महत्व मिट्टी के दीयों का माना गया है। ऋग्वेद सहित हमारे तमाम धर्मग्रंथों ने मिट्टी के दीयों की प्रशस्तियाँ गाई हैं। उनके अनुसार सृष्टि में अग्नि की ऊर्जा ३ रूपों में दिखाई देती है-ब्रह्मांड में विद्युत, ग्रह मंडल में सूर्य और पृथ्वी पर ज्वाला। ‘सूर्याशं संभवो दीप’ में कहा गया है कि दीपक की उत्पत्ति सूर्य के अंश से हुई है। इसलिए दीपक का प्रकाश सभी मांगलिक कार्यों में अनिवार्य है। ऋग्वेद के अनुसार दीपक में देवताओं का तेज है। इसलिए, सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए दीप जलाएं। दीयों में यदि घी या तिल के तेल जले तो वातावरण शुद्ध होता है। मिट्टी के दीयों को पंच तत्वों का प्रतीक कहा गया है। इसे भूमि तत्व के प्रतीक मिट्टी को जल तत्व के प्रतीक पानी में गला कर बनाते हैं। उसे आकाश तत्व के प्रतीक धूप और वायु तत्व हवा से सुखाया जाता है। अंततः इसे अग्नि तत्व की प्रतीक आग में तपाया जाता है।
यदि शास्त्रों की बात ना भी हो, तो दीपोत्सव प्रकाश-पर्व का सामाजिक और आर्थिक पक्ष भी है। हमारे पूर्वजों ने किसी भी धार्मिक अथवा लोक पर्व की परिकल्पना करते समय अपने कारीगरों और शिल्पियों की रोज़ी-रोटी और सम्मान का पूरा-पूरा ख्याल अवश्य रखा था। उनके उत्पादों के बिना कोई पूजा सफल नहीं मानी जाती थी। हमारे लाखों कुम्भकार और शिल्पी अपने बनाए दीयों, मूर्तियों और सजावटी सामानों के साथ सालभर प्रकाश पर्व की बाट जोहते हैं। आक्रामक औद्योगिकीकरण के दौर में आज वे हाशिए पर खड़े हैं। आज लगभग बर्बादी की कग़ार पर खड़े अपने लाखों शिल्पकारों को सहारा देने के लिए हमें आगे आना होगा। अपनी ज़रा-सी संवेदनशीलता से हम उनके उदास घरों में रोशनी और उदास चेहरों पर मुस्कान लौटा सकते हैं।
आईए, प्रकाश-पर्व में हम पहले की तरह अपने घरों में मिट्टी के दीए जलाएं। पूजा-कक्ष में अपने कारीगरों द्वारा निर्मित मूर्तियों को जगह दें। बच्चों के लिए कुछ मिट्टी और लकड़ी के खिलौने भी खरीद दें। क्या पता हमारे छोटे-छोटे सहयोग उनके कुछ बड़े-बड़े सपने पूरे करने में सहायक हों।
समाज में एकता भाईचारा प्रकाश हो,
उचित नारी सम्मान सुरक्षा सुवास हो।
बुजुर्गों के आशीष से मुस्कुराए भविष्य,
भाव भरा हर दहलीज जगमग दीया हो॥
परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है