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हरी-भरी हो ये धरती

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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रचनाशिल्प-८+८+६=२२ चरणांत-१ १ २)

सब ‘धरा’ रह जाएगा (पर्यावरण दिवस विशेष)…

वृक्ष लगाओ, हरी-भरी हो, ये धरती।
नीर बचाओ, नदियाँ सब, जल भरती॥
चिड़िया बोले, डाली डाली, पिक चहके।
लदे हुए हों, वृक्ष फूल-फल, से लहके॥

होय प्रकृति भी, मुक्त प्रदूषण, पवन बहे।
उड़े खग यूथ, नील गगन पर, मुक्त रहे॥
प्रकृति सौंदर्य, सबके मन आकृष्ट करे।
होय प्रदूषण, मुक्त धरा भी, सुख बिखरे॥

वृक्षों से ही, मिलते फल अरु, फूल सदा।
इनके बिन हम, स्वस्थ शांत मन,रहे कदा॥
मिलता निर्मल, पवन और जल, हम सबको।
वर्षा लाते, हरे-भरे तरु, सब हमको॥

निकट प्रकृति के, रहे हमारी, सोच यही।
हम चलें नहीं, प्रतिकूल कभी, प्रकृति मही॥
रखें प्रदूषण, मुक्त लगाए, वृक्ष सभी।
व्यर्थ न दोहन, करें प्रकृति का, लोग कभी॥

बूंद-बूंद जल, अमृत तुल्य है, ध्यान रखें।
वृक्ष बचाएं, मधुर फलों का, स्वाद चखें॥
अभी समय है, सुधरें मानव, साथ चले।
कोप प्रकृति का, सह नहीं पाय, समय ढले॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा) डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बड़ियाल कलां,जिला दौसा (राजस्थान) में जन्मे नवल सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी.,साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ से अधिक पुस्तक प्रकाशित हैं। आपकी कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो,
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’