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बच्चे अद्वितीय वरदान

तृप्ति तोमर `तृष्णा`
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष………..


बच्चे हैं ईश्वर का दुर्लभ रूप,
हर कहीं है इनका सुंदर स्वरूप।

इनकी हँसी से फैलती चाँद-सी चमक,
पूरे घर में चमकती दमकती-सी रौनक।

बच्चे सजाते खुशियों का गुलिस्ताँ,
इनकी किलकारियों से गूँजता सारा हिदुंस्तां।

इनकी शरारतों से बिखरता घर आँगन,
नन्हें कदमों से खिल उठता गुलशन।

मम-मम-सा मधुर सुरीला संगीत,
मानो गा रही कोयल मीठा गीत।

लहराते डगमगाते पैरों की बढ़ती चहलकदमी,
उनकी मासूम हँसी और रहती नजर सहमी।

बच्चे होते ईश्वर का दिया अनमोल उपहार।
बच्चे हैं हर माँ के जीवन का आधार॥

परिचय-तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। आपका  साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि २० जून १९८६ एवं जन्म स्थान-विदिशा(म.प्र.) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। एम.ए. और  पीजीडीसीए शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। आप अधिकतर गीत लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। 

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