हम-तुम
तृप्ति तोमर `तृष्णा`भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से दो दिलों का मधुर संगीत से ओत-प्रोत तराना,इनकी खुशबू से मनमुग्ध है सारा फ़साना। हमसे शुरू होकर तुम पर खत्म…
तृप्ति तोमर `तृष्णा`भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से दो दिलों का मधुर संगीत से ओत-प्रोत तराना,इनकी खुशबू से मनमुग्ध है सारा फ़साना। हमसे शुरू होकर तुम पर खत्म…
तृप्ति तोमर `तृष्णा` भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** ‘अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस’ १० मई विशेष………. ईश्वर का अलौकिक,दिव्य स्वरूप हैं सुषमाँ, हो गर काँटों का जहां,तो सुषमाँ होती फूलों का समां। सुषमाँ देती हैं…
तृप्ति तोमर `तृष्णा` भोपाल (मध्यप्रदेश) ********************************************************************* हैदराबाद घटना-विशेष रचना.......... आज हमारे देश मेंं बढ़ रहे अपराध और अपराधियों के लिये सरकार द्वारा सख्त कानून व्यवस्था नहीं है। इतने संगीन अपराध होने…
तृप्ति तोमर `तृष्णा` भोपाल (मध्यप्रदेश) ********************************************************************* विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. बच्चे हैं ईश्वर का दुर्लभ रूप, हर कहीं है इनका सुंदर स्वरूप। इनकी हँसी से फैलती चाँद-सी चमक, पूरे घर…
तृप्ति तोमर `तृष्णा` भोपाल (मध्यप्रदेश) ********************************************************************* अंदाज इनका जटिल,अलग और सटीक, व्यक्तित्व है सहज,सौंदर्य का प्रतीक। मौन मूर्ति-सी मूरत है जिनकी, सबसे जुदा है शख्सियत इनकी। गागर में सागर-सी इनकी उपमा,…
तृप्ति तोमर `तृष्णा` भोपाल (मध्यप्रदेश) ********************************************************************* जिंदगी का उपनाम है संघर्ष, इशारों पर नचाती जैसे सर्कस। जिंदगी का हर रुप है चुनौती, हर पहलू में नया रंग दिखलाती। कभी टूटती है…
तृप्ति तोमर `तृष्णा` भोपाल (मध्यप्रदेश) ********************************************************************* बरसात प्रकृति का हसीन एहसास, जैसे दुनिया के खुशी के पल हों पास। पायल की झनकार-सा रोचक-सा संगीत, जैसे इस सुहाने मौसम में मिला हो…
तृप्ति तोमर भोपाल (मध्यप्रदेश) ********************************************************************* नील रंग लिए बहती अलकनंदा, जैसे खुले आकाश में पंख फैलाने कोई परिंदा। भागीरथी संग मिल बना पवित्र संगम, असंख्य श्रद्धालुओं का होता समागम। अलकनंदा…
तृप्ति तोमर भोपाल (मध्यप्रदेश) ********************************************************************* हर कोई है जी रहा लिए दोहरे रूप, हर इंसान का बदला हुआ है स्वरूप। हर रिश्ते से खेल रहा इंसान, बिक गया सबका ईमान।…
तृप्ति तोमर भोपाल (मध्यप्रदेश) ********************************************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… पृथ्वी पर सबसे सुंदर रचना है माँ, ईश्वर का अनमोल उपहार है माँ। खामोश लबों की आवाज है माँ, निराकार में…