आज कह लेने दो…

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ “निर्भय, आज हम लोगों की शादी के पूरे ३० साल बीत गए। सब लोगों की नजरों में हम आइडियल कपल हैं, लेकिन मैं देख रही हूँ कि हम दोनों के रिश्तों पर समय की धूल जमती जा रही है। मैं बार-बार कहती रही। आज तक तुमने मुझे कभी ढंग का गिफ्ट नहीं … Read more

‘दीपावली’ का वैश्विक होना सांस्कृतिक आत्मा की विजय

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** ‘यूनेस्को’ द्वारा दीपावली को अमूर्त विश्व धरोहर घोषित किया जाना भारत की सांस्कृतिक चेतना का ऐसा महत्त्वपूर्ण क्षण है, जो न केवल भारतीयों को गौरवान्वित करता है बल्कि यह सिद्ध करता है कि भारतीय सभ्यता की आत्मा आज भी मानवता का मार्गदर्शन करने की क्षमता रखती है। दीपावली मात्र एक त्योहार नहीं, … Read more

मन मचल रहा

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन (हिमाचल प्रदेश)***************************************************** नयी सी हवा है, नया आसमां,ठंडी हवा का दौर चल रहा हैमन तुमसे मिलने,को मचल रहा है। नयी-सी हवा है,नया आसमांतुम आ जाओगे,तो बदलेगा समां। मौसम सुहाना है,हमने ये माना हैसब कुछ छोड़कर,तुम्हें चले आना है। आसमां में बादल छाए हैं,हम तुमपे नजरें बिछाए हैंअपना लो मुझको इसके पहले,कि … Read more

‘सोने की चिड़िया’ रहे देश की संसद किस दिशा में..?

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)***************************************** देश के लिए सब कुछ तय करने वाला सर्वोच्च सदन यानी संसद, जिसे देश की सबसे पवित्र और सबसे जिम्मेदार लोकतांत्रिक संस्था माना जाता है, उसी में ‘वन्दे मातरम्’ कके लिए बहस के नाम पर अगर १० घंटे तमाशे का अखाड़ा हो, तो सोचना लाज़मी है कि ‘सोने की चिड़िया’ रहा … Read more

सफ़र-ए-ज़िंदगी पर…

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ सोचता हूँ मैं ए ज़िंदगी,तू कितना साथ देगीइसलिए हर रोज निकलता हूँ मैं,‘सफ़र-ए-ज़िंदगी’ पर…। कभी दर्द कभी खुशी का वो कारवां,कुछ खट्टा-कुछ मीठा-सा अनुभवइससे आगे बढ़ता हूँ मैं,‘सफ़र-ए-ज़िंदगी’ पर…। मुश्किलों से डरना मेरा काम नहीं,मैं हारा जरुर हूँ पर जीत की आशा नहीं छोड़ी मैंनेदेखना है मुझे मालिक मंजिल अब … Read more

कदम बढ़ाया है

कुमारी ऋतंभरामुजफ्फरपुर (बिहार)************************************************ नारी जागरण की बेला में, हमने कदम बढ़ाया है,गॉंव-गॉंव, गली-गली की नारियों को जगाने की शपथ उठाई हैमन व्याकुलता से भरा हुआ, मन अब भी दुखदाई हैनि:स्वार्थ भाव से सबको राह दिखाएंगे,अब हम तो बस यही राह अपनाएंगेअपना दुःख छिपाकर हमने, सबकी राहें जगाने की ठानी है,नारी शक्ति तेरे अंदर, हमें बस … Read more

चाँद मेरे हो

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** चाँद मेरे हो तुमचाँदनी मैं तेरी,राग तुम हो मेरेरागिनी मैं तेरी। तुम हो दीपक अगरमैं तो बाती बनी,तुम हो गुनगुन भँवरमाला सुरभित बनी। तुम जो आकाश होमैं हूँ शीतल धरा,तुम अगर जाम होमैं हूँ प्याला भरा। हूँ तेरे साथ मैं,साथ तुम हो मेरे।स्वप्न होते मेरेअब पूरे अधूरे। गीत मैं हूँ तेरी,मीत मैं … Read more

उत्सव… उमंग

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* जीने की उमंग जगाते हैं,व्यस्तता से खुशी चुराते हैंउत्सव जब गृह में आते हैं,सुंदर वर्तमान बनाते हैं। वह उत्सव ही तो होते हैं,अपनों की पहचान कराते हैंपरिवार का महत्व बताते हैं,ज़िंदगी को संपूर्ण बनाते हैं। यात्राएं कराते हैं, मस्ती में रमाते हैं,सुस्त-सी ज़िंदगी, ज़िंदादिल बनाते हैंभूले पकवानों का स्वाद दिलाते हैं,संस्कार, … Read more

उत्तर व दक्षिण भारत के भाषा-सेतु ‘सुब्रह्मण्यम भारती’

डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************** ‘भारतीय भाषा दिवस’ (११ दिसंबर) विशेष… तमिल भाषा के सुप्रसिद्ध कवि महाकवि चिन्नास्वामी सुब्रह्मण्यम भारती (‘महाकवि भारतियार’) को भारत और भारतीय भाषाओं की एकात्मता के लिए याद किया जाता है। सुब्रह्मण्यम भारती का जन्म ११ दिसंबर १८८२ को तमिलनाडु के तूतुकुड़ी ज़िले के एट्टयपुरम् गाँव में हुआ। पिता चिन्नास्वामी अय्यर तमिल … Read more

स्त्रियाँ और चट्टानें

डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ स्त्रियाँ…टूटती नहीं हैं, तोड़ दी जाती हैं,गुजरते वक़्त की मार से जैसे-मार्ग में पड़ी कोई चट्टान,लगातार सहते आघातों सेरेत हो जाती है, वैसे ही…बहुत धीरे से, मौन के बीच, विश्वास तले,मिट्टी के घड़े-सी चूर हो जाती हैं। स्त्रियाँ…काँच की तरह, बिखरती नहीं है,बस… खुद को समेटना छोड़ देती हैंजैसे कोई … Read more