प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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अनुशासन का है नहीं, किंचित यहां विकल्प।
अनुशासन को मानना, आगत का संकल्प॥
अनुशासन को मानकर, मानव बने महान।
अनुशासन संकल्प है, जो लाता सम्मान॥
अनुशासन है चेतना, अनुशासन उत्थान।
अनुशासन को थामकर, जीना हो आसान॥
अनुशासन संदेश है, अनुशासन शुभकर्म।
अनुशासन है बंदगी, अनुशासन है धर्म॥
अनुशासन है प्रेरणा, अनुशासन शुभगान।
अनुशासन है सादगी, अनुशासन जयगान॥
अनुशासन है साधना, अनुशासन है ध्यान।
अनुशासन है जागरण, मानव पाये शान॥
अनुशासन है दिव्यता, अनुशासन आवेश।
अनुशासन गंभीरता, बदले जग अरु देश॥
अनुशासन तो धैर्य है, अनुशासन है वेग।
अनुशासन को मान लो, प्रिय तुम सुख का नेग॥
अनुशासन है सभ्यता, संस्कार का रूप।
अनुशासन से ही खिले, उजली-पावन धूप॥
अनुशासन तो है विजय, अनुशासन उजियार।
अनुशासन से हो परे,सघन, स्याह अँधियार॥
अनुशासन जयघोष है, अनुशासन इक राह।
अनुशासित नर देखकर, सहज निकलती वाह॥
अनुशासन रावण तजा, नष्ट हुआ सब वंश।
राम रहे उस पर विजयी, बन मानस के हंस॥
जब चरित्र में दिव्यता, अनुशासन का ताव।
धर्म सतत् है संग तो, होगा नहीं अभाव॥
मर्यादा को लाँघकर, असुर बना था नीच।
नीति-रीति से राम ने, दिया धर्म को सींच॥
जलते पुतले कह रहे, कर नहिं ओछा काम।
वरना तय होना यहाँ, बंदे काम तमाम॥
परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।