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उठो देश के वीर जवानों

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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भारत और चीन के रिश्ते स्पर्धा विशेष……

उठो देश के वीर जवानों
ड्रेगन का संहार करो।
धोखेबाजी करता है जो
वैसा ही व्यवहार करो॥

बहुत सह लिया अब तक हमने
अब उसका प्रतिकार करो।
बनो आत्मनिर्भर स्वयं अब
चीन का बहिष्कार करो॥

हिंदी-चीनी भाई-भाई
यह नारा तो धोखा है।
कायरता की हदें लांघ दी
छुरा पीठ में घोंपा है॥

बहुत हो गई बातें अब तक
अब बातों का काम नहीं।
देंगे अब मुँहतोड़ जवाब
बासठ का ये हिंन्द नहीं॥

आत्मशक्ति के बल पर हमने
दिल से दिल को जोड़ा है।
लेकिन ड्रैगन की चालों ने
दिल हम सबका तोड़ा है॥

पहले तो हम ना छेड़ेंगे
छेड़ा तो ना छोड़ेंगे।
हद को पार किया है अब तो
अब हम उसको तोड़ेंगे॥

वीर शहीदों की शहादतें
व्यर्थ नहीं जाने देंगें।
दुश्मन की नापाक चाल को
सफल नहीं होने देंगे॥

ललकारा यदि दुश्मन ने तो
पीछे हम नहीं हटेंगे।
इक के बदले दस दस सैनिक
उनके मार गिरा देंगे॥

हम भारत माँ के बेटे हैं
पीठ न कभी दिखाएंगे।
शीश कटा देंगें अपना पर
शीश न कभी झुकाएंगे॥

मातृभूमि का कोई हिस्सा
अलग नहीं होने देंगे।
दुश्मन हो कितना ताकतवर
उसको धूल चटा देंगें॥

समय नहीं अब सोने का है
रणचंडी आह्वान करो।
उठो देश के वीर जवानों
ड्रैगन का संहार करो॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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