Total Views :134

You are currently viewing अभी रुक जाओ यमराज

अभी रुक जाओ यमराज

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
*******************************************

करती हूँ मैं तुमसे निवेदन,सुन लो आप मेरा क्रंदन,
कहना मान जाओ मेरा,पकड़े हूँ मैं आपके चरण।

अभी घूम रही हूॅ॑ हे यमराज,मैं माया के बाजार में,
ख्वाब टूटे नहीं अभी,खोई हूँ सपनों के बाजार में।

लौट के तुम जाओ यम,अभी मिलन की बेला है,
अभी बाली उमर है मेरी,प्रेम प्रसंग की ये बेला है।

लौट के जाओ यमराज,छूना नहीं मेरे प्यार को,
बुलाओ नहीं यमराज मेरे मन के,हंसा यार को।

क्या करूॅ॑गी सुन्दर काया,उडेगा जब जीवन रुपी हंस,
करबद्ध प्रार्थना है यमराज,छुओ मत जीवन रुपी हंस।

तन से हंस उड जाएगा,तो मिट्टी बन जाएगी काया,
जाओ,मत आओ यमराज,रहने दो यह निर्मल काया।

सुनो यमराज अभी-अभी तो मन का पंछी सोया है,
ख्वाब अभी पूर्ण हुए नहीं,मधुर स्वप्न में खोया है।

विनती करती है ‘देवन्ती’,बख़्श दो सिपाही यमराज,
मत छूना मेरी लाली चुनर,यही है मेरे सिर का ताज॥

परिचय–श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

Leave a Reply