हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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सुखदेव, राजगुरु और भगत सिंह को फंदे पर लटकाया था,
२३ मार्च के दिन को इसी लिए ही ‘शहीद दिवस’ मनाया था।
भारत माँ के इन लालों ने, अंग्रेजों को नाकों चने चबाए थे,
भारत को आजाद कराने हेतु अपने बलिदान चढ़ाए थे।
‘मेरा रंग दे बसंती चोला माई’, कह कर जो फंदे पर झूल गए,
दु:ख होता है आज कि, हम उनको, क्यों और कैसे भूल गए?
जब लुटती रहती बहू-बेटियाँ और बच्चे-बूढ़े पिटते जाते,
दावे से कहता हूँ कि ऐसे में, इन वीरों को कोई भूल न पाते।
हैरान हूँ जग की रीत को, सुख दिलाने वालों को भुलाया है,
महत्ता उसको देते हैं, जो हाल में ही, हमारे जीवन में आया है।
खुश रहो पर याद रखो कि, यह आजादी पुरखों की थाती है,
खून बहाया है पुरखों ने, जिस पर नव पीढ़ी हक जताती है।
इसे सहेजना न कि गढ़े मुर्दों को कुरेदना, हमारी जिम्मेवारी है,
पर हमें तो मौज-मस्ती में खो कर, हो गई भूलने की बीमारी है।
चलो जी कहें तो क्या कहें ? आज हमारे हाथों में सरदारी है,
जमाने का प्रभाव है यह सब या कि, हमारी सोच नकारी है ?