बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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स्वतंत्रता दिवस विशेष…
आजादी महँगी मिली, पन्द्रह याद अगस्त।
राज फिरंगी देश में, जन गण मन था त्रस्त॥
जन गण मन था त्रस्त, बहुत बलिदान दिए थे।
भारत माँ को काट, भुजा दो टूक किए थे॥
‘लाल’ लहू् कर भेद, बीज बोए बरबादी।
अंग भंग ज्यों देह, मिली हमको आजादी॥
भारत में सबसे बड़ा, लोकतंत्र है आज।
जागरूक होकर रहो, बना रहे सिर ताज॥
बना रहे सिर ताज, शहीदी कभी न भूलें।
गोली कैद अनाम, भले फाँसी पर झूले॥
‘लाल’ सभी आबाद, रहे कोई क्यों आरत।
रहे तिरंगा शान, अमर हो अपना भारत॥
आजादी सबकी भली, पशु पंछी इंसान।
सूर्य चन्द्र जब तक रहें, दमके हिन्दुस्तान॥
दमके हिन्दुस्तान, धर्म सब पंथ समाने।
रहे न कोई भेद, कर्म से जन पहचाने॥
कहे लाल कविराय, कुशल हो अब आबादी।
मिलकर करें प्रयास, रहे सबकी आजादी॥
आजादी का पर्व है, छाई खुशी अपार।
जनगणमन उत्साह है, निज जनतंत्र प्रसार॥
निज जनतंत्र प्रसार, विश्व में गुरु भारत हो।
सोन चिरैया मान, नहीं मानस आरत हो॥
कहे लाल कविराय, शत्रु की कर बरबादी।
रख शहीद सम्मान, बचाएँ निज आजादी॥
करते माह अगस्त में, सन सैंतालिस याद।
अपना प्रिय भारत वतन, तभी हुआ आजाद॥
तभी हुआ आजाद, तिरंगा तब लहराया।
चले गये अंग्रेज, भारती मन हरषाया॥
‘लाल’ किले पर सज्ज, झाँकियाँ उत्सव मनते।
बढ़े तिरंगा शान, मुख्य संभाषण करते॥
आजादी हित प्राण वे, सतत गँवाए वीर।
यादें उनकी में सखे, बहते नयन सुधीर॥
बहते नयन सुधीर, शहीदी लख कुर्बानी।
जान वतन के हेतु, लुटाई चढ़ी जवानी॥
‘लाल’ लहू का भोग, भारती माँ आराधी।
कोटिश नमन सदैव, जान दी हित आजादी॥
परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।