दिल्ली
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‘विश्व दयालुता दिवस’ (१३ नवम्बर) विशेष…
‘विश्व दयालुता दिवस’ दुनिया के मानव समुदायों में अच्छे कार्यों को उजागर करने के लिए मनाया जाता है, जिसमें सकारात्मक शक्ति, मानवीय संवेदनाओं और दयालुता के सामान्य जीवन-सूत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए इंसान से इंसान को जोड़ने का उपक्रम किया जाता है। दयालुता मानवीय स्थिति का एक मूलभूत हिस्सा है जो जाति, धर्म, नस्ल, राजनीति, लिंग, भाषा, गरीबी-अमीरी और स्थान के विभाजन को पाटती है। आज दुनिया में प्रेम, करुणा, दया एवं उदारता रूपी संवेदनाओं का स्रोत सूखता जा रहा है। इनमें दया एवं दयालुता ही ऐसा मानवीय मूल्य है, जिस पर मानव की मुस्कान छिपी है। यह भाव न केवल दूसरों के प्रति प्रेम जगाता है, बल्कि ईश्वर के करीब भी ले जाता है। मानव जीवन की हिंसा, युद्ध, आतंक, आर्थिक प्रतिस्पर्धा की गलाकाट प्रतियोगिता के दौर में दयालुता ही ऐसा हथियार है, जो मानव होने के अर्थ को नयी ऊंचाई प्रदान करता है। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे कोई व्यक्ति अपनी दयालुता प्रदर्शित कर सकता है और दूसरों को भी उसका अनुसरण करने के लिए प्रेरित कर सकता है। यह दिन हमेशा लोगों की मदद करने, हमेशा अच्छा करने का मौका देता है। यह दिन केवल हमारे अंदरन बदलाव लाता है, बल्कि हमारे आसपास की दुनिया को भी बदल कर जीने लायक बना देता है।
इस दिवस की शुरुआत १९९८ में वर्ल्ड किंडनेस मूवमेंट संगठन द्वारा की गई थी।
यह कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, नाइजीरिया और संयुक्त अरब अमीरात सहित कई देशों में मनाया जाता है। इटली और भारत में भी यह दिन मनाया जाता है।
वास्तव में दया की भावना ही वास्तविक धर्म है। दलाई लामा ने कहा कि -“मैं इस आसान धर्म में विश्वास रखता हूँ। मन्दिरों की कोई आवश्यकता नहीं, जटिल दर्शन शास्त्र की कोई आवश्यकता नहीं। हमारा मस्तिष्क, हमारा हृदय ही हमारा मन्दिर है, और दयालुता जीवन-दर्शन है।” इस दुनिया में दया से बढ़कर कुछ भी नहीं है। हालांकि, यह सच है कि जघन्य अपराधों, आतंकवाद, युद्ध, हिंसा, मिलावट, नारी शोषण एवं उत्पीड़न की गतिविधियों के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि दयालुता अभी भी मौजूद है और दुनिया पर राज कर रही है। किसी ने एक बार कहा था कि, “दया उन लोगों को आशा दे रही है जो सोचते हैं कि वे इस दुनिया में बिल्कुल अकेले हैं, पर बड़ा प्रश्न है कि हम दयालुता की बात क्यों कर रहे हैं ?, क्योंकि दयालुता की भावना ही यह परिभाषित करती है कि व्यक्ति अच्छा है या बुरा। एक व्यक्ति में यह गुण अवश्य होना चाहिए क्योंकि दूसरों के साथ व्यवहार करने का यही एकमात्र सही एवं प्रभावी तरीका है, जो सीधा मनुष्य के दिल को छूता है। यदि आप उन लोगों में से हैं जो दयालुता का कोई भी कार्य करने के बाद अच्छा महसूस करते हैं, तो आप समझते हैं कि वास्तव में दयालुता क्या है!
यह दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों, समाज-समुदाय को अच्छे काम करने एवं सभी के प्रति दयालु होने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह दिन एक अनुस्मारक प्रदान करता है कि दयालुता के गुण में एकसाथ रहने और एक दयालु दुनिया बनाने की शक्ति है, जहां सभी लोग एक साथ काम कर सकते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि इसे समझना आसान नहीं है, लेकिन एक छोटा- सा कार्य भी बदलाव ला सकता है। आज एक दयालु दुनिया को निर्मित करने की ज्यादा अपेक्षा है, जिसके नागरिकों में समानुभूति हो, सुनने का अच्छा कौशल हो, सामाजिक सहयोग की भावना हो एवं दान करने की प्रवृत्ति हो। उदारता, परोपकार, मदद की वृत्ति, विनम्रता की भावना से दुनिया को अधिक मानवीय बनाया जा सकता है। इसी एक भाव में दुनिया की जटिल समस्याओं के समाधान निहित हैं।
दार्शनिक खलील जिब्रान ने कहा भी है कि-दया बर्फ की तरह है, यह जिस चीज को ढक लेती है उसे सुंदर बना देती है।
विश्व दयालुता दिवस हमें यह विश्वास करने के लिए भी प्रेरित करता है कि दयालुता का एक कार्य हमारे बीच, समाज में और समुदाय में वैश्विक परिवर्तन ला सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (बर्कले) में ग्रेटर गुड साइंस सेंटर ने लिखा है कि कैसे दयालुता आपको खुश करती है और खुशी आपको दयालु बनाती है। वे एक अध्ययन के परिणामों का हवाला देते हैं जो दयालुता और खुशी के बीच एक ‘सकारात्मक प्रतिक्रिया पाश’ का सुझाव देते हैं, जिसमें एक-दूसरे को प्रोत्साहित करता है।
दयालु होने से तनाव के हार्माेन का स्तर कम होता है और लोग कम उदास, कम अकेले और कुल मिलाकर खुश रहते हैं। दयालुता दूसरे की सफलता का जश्न मनाने और जरूरत पड़ने पर किसी जरूरतमंद, अभावग्रस्त एवं पीड़ित व्यक्ति की मदद करने की इच्छा की अभिव्यक्ति का माध्यम है। यह एक अलौकिक मानवीय गुण है, जो हमें मुस्कानों से भरकर ताजा एवं ईश्वरतुल्य बना देता है। इसी लिए दयालुता पवित्र आभामंडल के ऊध्वारोहण का संवाहक है। आज जरूरत ऐसे दयालु चरित्रवान व्यक्तियों की है जो प्रेम, संवेदनशीलता एवं सदाचार की फसल उगा सकें। भीड़ में उभरते हुए ऐसे दयालु व्यक्तित्व ही वार्तमानिक समस्याओं का रचनात्मक समाधान देने में सक्षम हो सकते हैं। नयी सोच के साथ नये रास्तों पर फिर एक बार उस सफर की शुरूआत करें, जिसकी गतिशीलता जीवन-मूल्यों को फौलादी सुरक्षा दे सके।