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आते-जाते रहेंगे तूफान

मंजू अशोक राजाभोज
भंडारा (महाराष्ट्र)
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एक शहर में मैंने देखा,
ऐसा भयानक तबाही का मंजर
वहाँ कुछ पल पहले ही,
थमा था तूफान आकर।

कुछ लोग थे उदास,
अपना बहुत कुछ खोकर
कुछ लोग थे,
बिलख-बिलख कर रो रहे।

कुछ लोग ऊपर वाले से,
शिकायत थे कर रहे
लेकिन एक परिवार,
धन्यवाद था कर रहा।

उन बिलखते हुए व्यक्तियों ने,
उसके पास जाकर जब पूछा-
तुम सब खोकर भी,
कैसे ईश्वर का धन्यवाद हो कर रहे ?

तब धन्यवाद करते हुए परिवार ने जो कहा उनसे-
वह बताती ‘मंजू’ अपनी लेखनी के माध्यम से
यह बात हमने वृक्षों से है सीखी,
वह देखो तुम उसे।

कुछ महीनों पहले,
आई थी तेज आँधी
उस वक्त यह वृक्ष
टूट कर हो गया था,
कुछ आधा अधूरा-सा।

इसके जीवन में भी,
आया था एक तूफान
लेकिन आज देखो,
फिर से दिख रहा है यह हरा-भरा।

इसने सब खोकर भी देखो हार न मानी,
बस ऐसे ही है हम सबकी ज़िंदगानी
यहाँ आते-जाते रहेंगे कई आँधी-तूफान,
लेकिन जब तक चलती है हमारी धड़कन
तब तक दिल में जगाए रखना तुम जीने का अरमान।

यह समझो तुम्हें मिला है जीवन दान,
बाकी चीजों का क्या है यहाँ मोल
हमारा जीवन है सबसे अनमोल,
अब तुम भी करो
उस ऊपर वाले का धन्यवाद,
और खुश हो जाओ हमारे साथ।

सब कुछ खोकर भी,
बहुत कुछ है हमारे पास
अब तुम न रहो उदास,
बस ऐसे ही है हम सबका जीवन।

यहाँ आते-जाते रहेंगे कई तूफान,
लेकिन न मानो कभी हार।
जब तक है तुममें जान,
चाहे आए आंधी या तूफान॥