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एक दृष्टांत-मेरे राजा राम

गोपाल चन्द्र मुखर्जी
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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श्रीराम नवमी-१० अप्रैल विशेष…..

दृष्टांत आपका चरित्र,हे,नवदुर्वादल राजा राम-
दृष्टांत आपका,करुणा की मूर्त मूर्ति,जय राजा राम
दृष्टांत आपका,कृपासिंधु महाबली करुणा निदान,
दृष्टांत आपका,सर्वज्ञान से ज्ञानी प्रजागत प्राण।

दृष्टांत आपका,स्तय पालन करने का-
दृष्टांत आपका,स्वयं का सुख को बौछार करने का
दृष्टांत आपका,पिता की आज्ञा पालन करने का-
दृष्टांत आपका,पति के कर्तव्य पालन करने का।

दृष्टांत आपका,माता-विमाता में भेद नहीं करने का,
दृष्टांत आपका,चक्रान्त में भी निर्विकार रहने का
दृष्टांत आपका,सब भाईयों से भातृप्रेम रखने का-
दृष्टांत आपका,भ्राता वियोग में अश्रु विलाप का।

दृष्टांत आपका,पशु-पक्षियों में प्रेम रखने का-
दृष्टांत आपका,ऋषि-मुनियों से श्रद्धा रखने का
दृष्टांत आपका,क्षुद्रों को सम्मान करना,
दृष्टांत आपका,जाति-भेद को दरकिनार करना।

दृष्टांत आपका,नम्रता से दुश्मनों को सम्मान देना,
दृष्टांत आपका,रावण जैसे की भी सेवा करना
दृष्टांत आपका,प्रजातुष्टि के लिए पत्नी त्यागना,
दृष्टांत आपका,न्याय के लिए प्रियपुत्रों से लड़ना।

दृष्टांत आपका,न्याय को सबके लिए समान करना,
दृष्टांत आपका,एक रामराज की स्थापन करना।
दृष्टांत आपका,उकेरे मेरे चरित्र पर,मेरी प्रार्थना-
दृष्टांत आपका,पालन करुँ यह है मेरी याचना॥

परिचय-गोपाल चन्द्र मुखर्जी का बसेरा जिला -बिलासपुर (छत्तीसगढ़)में है। आपका जन्म २ जून १९५४ को कोलकाता में हुआ है। स्थाई रुप से छत्तीसगढ़ में ही निवासरत श्री मुखर्जी को बंगला,हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। पूर्णतः शिक्षित गोपाल जी का कार्यक्षेत्र-नागरिकों के हित में विभिन्न मुद्दों पर समाजसेवा है,जबकि सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत सामाजिक उन्नयन में सक्रियता हैं। लेखन विधा आलेख व कविता है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में साहित्य के क्षेत्र में ‘साहित्य श्री’ सम्मान,सेरा (श्रेष्ठ) साहित्यिक सम्मान,जातीय कवि परिषद(ढाका) से २ बार सेरा सम्मान प्राप्त हुआ है। इसके अलावा देश-विदेश की विभिन्न संस्थाओं से प्रशस्ति-पत्र एवं सम्मान और छग शासन से २०१६ में गणतंत्र दिवस पर उत्कृष्ट समाज सेवा मूलक कार्यों के लिए प्रशस्ति-पत्र एवं सम्मान मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज और भविष्य की पीढ़ी को देश की उन विभूतियों से अवगत कराना है,जिन्होंने देश या समाज के लिए कीर्ति प्राप्त की है। मुंशी प्रेमचंद को पसंदीदा हिन्दी लेखक और उत्साह को ही प्रेरणापुंज मानने वाले श्री मुखर्जी के देश व हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा एक बेहद सहजबोध,सरल एवं सर्वजन प्रिय भाषा है। अंग्रेज शासन के पूर्व से ही बंगाल में भी हिंदी भाषा का आदर है। सम्पूर्ण देश में अधिक बोलने एवं समझने वाली भाषा हिंदी है, जिसे सम्मान और अधिक प्रचारित करना सबकी जिम्मेवारी है।” आपका जीवन लक्ष्य-सामाजिक उन्नयन है।

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